Search
AQLI

September 12, 2017

ZEE जानकारी: भारत दुनिया के सबसे प्रदूषित देशों में से एक

भारत दुनिया के सबसे प्रदूषित देशों में से एक है. और वायु प्रदूषण को भारत की सेहत के लिए सबसे बड़ा ख़तरा माना जाता है. University of Chicago के The Energy Policy Institute ने Air Quality Life Index के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट में कहा गया है, कि अगर भारत World Health Organisation के मानकों के मुताबिक वायु प्रदूषण घटाने पर काम करे….तो पूरे देश के लोगों की ज़िंदगी औसतन… चार साल बढ़ सकती है. जबकि राष्ट्रीय मानकों का पालन करने पर…पूरे देश के लोग औसतन 1 साल ज़्यादा ज़िंदा रह सकते हैं. भारत की जनसंख्या करीब 133 करोड़ है और ऐसे में हमारे देश के हर व्यक्ति की उम्र अगर औसतन 4 साल बढ़ जाए.. तो कुल मिलाकर 532 करोड़ वर्ष का जीवनकाल बढ़ जाएगा. ये बहुत बड़ा और लंबा समय है

देश की राजधानी दिल्ली अगर WHO के मानकों का पालन करे…तो यहां रहने वाले लोग नौ साल ज़्यादा जी सकते हैं. जबकि, दिल्ली में वायु प्रदूषण से जुड़े हुए राष्ट्रीय मानकों का पालन किया जाए…तो लोगों की उम्र 6 साल बढ़ सकती है. इस रिपोर्ट में देश के 50 सबसे प्रदूषित ज़िलों का पूरा कच्चा-चिट्ठा दिया गया है. और कहा गया है, कि अगर ये सभी ज़िले वायु प्रदूषण को लेकर WHO और राष्ट्रीय मानकों का पालन करें…तो वहां रहने वाले लोगों की उम्र बढ़ जाएगी. इसमें दिल्ली का नाम तो है ही. साथ ही आगरा, बरेली, लखनऊ, कानपुर, मुज़फ़्फ़रपुर, सीतापुर, पटना और आज़मगढ़ जैसे कई शहरों और ज़िलों के नाम भी हैं. भारत के राष्ट्रीय मानकों का पालन करने पर इन ज़िलों में रहने वाले लोगों की उम्र साढ़े तीन साल से लेकर 6 साल तक बढ़ सकती है.

आपको बता दें…कि Air Quality Life Index एक ऐसा ज़रिया है…जिसकी मदद से ये तय किया जाता है…कि अगर वायु प्रदूषण कम हो…तो औसत के मुक़ाबले लोग कितने ज़्यादा दिनों तक जिन्दा रह सकते हैं. WHO के मुताबिक, प्रदूषण की मात्रा बताने वाले PM 2.5 के स्तर को अगर 70 से 20 Micrograms Per Cubic Meter तक कम कर दिया जाए…तो वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों में लगभग 15 प्रतिशत की कमी आ सकती है. PM 2.5 के लिए WHO का वार्षिक पैमाना…10 Micrograms Per Cubic Meter है…जबकि PM10 के लिए ये पैमाना 20 Micrograms Per Cubic Meter रखा गया है.

भारत के राष्ट्रीय मानकों के मुताबिक, हमारे देश में PM 2.5 का स्तर 40 Micrograms Per Cubic Meter तक होना चाहिए और PM10 के लिए ये स्तर 60 Micrograms Per Cubic Meter निर्धारित किया गया है. यानी भारत में PM 2.5 के मानक WHO के मानकों से 4 गुना ज़्यादा हैं… जबकि PM10 के मानक 3 गुना ज़्यादा हैं यहां आपको एक बार फिर बता दें…. कि हवा में मौजूद PM यानी Particulate Matter के अंश…सांस लेने के दौरान शरीर में पहुंचते हैं.PM-2.5 और PM-10 नामक ये कण फेफड़ों में पहुंच जाते हैं. ये हवा में मौजूद जहरीले कैमिकल्स को शरीर में पहुंचाते हैं. जिसकी वजह से फेफड़े और हृदय को नुकसान पहुंचता है.

आज दिल्ली का Air Quality Index 327 था…जो WHO के मानकों से 32 गुना ज़्यादा है. और इसीलिए आज दिल्ली में PM-2.5 के स्तर को Very Poor की Category में रखा गया है. और कल भी स्थिति ऐसी ही बनी रहेगी. जैसे-जैसे तापमान में कमी आती है…इन दोनों कणों का स्तर बढ़ता चला जाता है. आम तौर पर नवंबर से लेकर फरवरी के महीने तक हालात बहुत गंभीर हो जाते हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2015 में वायु प्रदूषण की वजह से भारत में 10 लाख से ज़्य़ादा लोगों की मौत समय से पहले ही हो गई. अमेरिका के एक Institute ने इसी वर्ष एक रिपोर्ट जारी की थी. जिसका नाम था…Global Exposure To Air Pollution And Its Disease Burden…. इस रिपोर्ट में कहा गया है, कि दुनिया की 92 फीसदी आबादी उन इलाकों में रहती है, जहां की हवा स्वच्छ नहीं है.

यानी वायु प्रदूषण एक अंतर्राष्ट्रीय समस्या है…और भारत इस समस्या का सबसे बड़ा भुक्तभोगी है. इसलिए आज आपकी सांसों में समा चुके प्रदूषण का DNA टेस्ट करना ज़रुरी है. क्योंकि….वायु प्रदूषण के मामले में हमारा देश World Champion बन चुका है. वायु प्रदूषण के मामले में आप भारत को एक Gas Chamber भी कह सकते हैं.. क्योंकि भारत के शहरों में सांस लेने का मतलब है…मौत को मौन स्वीकृति देना.Organisation for Economic Co-operation and Development के मुताबिक, वर्ष 2060 में वायु प्रदूषण से दुनिया को 135 लाख करोड़ रुपए का नुकसान होगा. ये राशि हमारे मौजूदा GDP से सिर्फ 10 लाख करोड़ रुपये कम है. भारत का GDP करीब 145 लाख करोड़ रुपये है.

OECD का ये भी मानना है, कि ये नुकसान बीमारी की वजह से होने वाली छुट्टियों, इलाज में होने वाले खर्च और खेती में कम उत्पादन के रूप में होगा.OECD की रिपोर्ट के मुताबिक चीन, Russia और भारत इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे. प्रदूषण की वजह से चीन और भारत में सबसे ज्यादा लोगों की समय से पहले मौत होंगी. वायु प्रदूषण सिर्फ आपके फेफड़ों को ही नहीं बल्कि आपके दिल को भी नुकसान पहुंचा रहा है . वायु प्रदूषण के ज़हरीले कण अब इंसानों के दिल में भी पाए जाने लगे हैं. यानी वायु प्रदूषण आपको सांस से जुड़ी परेशानियां देने के साथ साथ, आपके दिल को भी कमज़ोर बना रहा है.

एक Research में पता चला है, कि दिल्ली वालों में Heart Attack का खतरा पिछले 20 वर्षों में 30 प्रतिशत तक बढ़ गया है. और इसके लिए प्रदूषण भी ज़िम्मेदार है. प्रदूषण और दिल की बीमारियों के बीच Connection सिर्फ भारत में ही नहीं पाया गया है. University of Edinburgh और Netherlands की कुछ Universities के Researchers ने भी एक प्रयोग किया है. इस प्रयोग से ये साबित हो गया है कि वाहनों से निकलने वाले धुएं में जो NanoParticles होते हैं. वो आपकी Blood Stream यानी खून की धारा में भी शामिल हो सकते हैं और वहां से आपके दिल में पहुंचकर उसे नुकसान पहुंचा सकते हैं.

वाहनों से निकलने वाले धुएं में PM2.5 नामक कण होते हैं, ये कण बहुत ही बारीक होते हैं और अक्सर सांस के ज़रिए आपके शरीर में पहुंच जाते है. लेकिन इनमें से कई कण इतने बारीक होते हैं कि ये फेफड़ों के Filter सिस्टम को भी पार कर जाते हैं और आपके दिल तक पहुंच जाते हैं.डॉक्टरों के मुताबिक प्रदूषण के ये कण दिल में खून पंप करने वाली Arteries में धीरे-धीरे जमा होने लगते हैं. और अगर लंबे समय तक धूल और धुएं के कणों से सामना होता रहे तो Arteries में एक तरह की परत जमा हो जाती है.इससे शरीर की धमनियां सिकुड़ जाती हैं और हार्ट अटैक और Stroke का खतरा पैदा हो जाता है.

पिछले वर्ष 1 नवंबर को हमने आपको बताया था कि कैसे प्रदूषण के बारीक कण आपके दिमाग तक भी पहुंच जाते हैं. दिमाग तक पहुंचने वाले ये चुंबकीय कण बहुत ज़हरीले होते हैं. वैज्ञानिकों का ये भी मानना है कि ये कण Alzeimer’s जैसी दिमागी बीमारियों का कारण भी बन सकते हैं. कुल मिलाकर आपका पूरा शरीर प्रदूषण की गिरफ्त में है और दिल्ली सहित देश के अलग-अलग शहरों में रहने वाले लोगों के लिए ये खतरा और भी ज़्यादा है.

कहते हैं, समाज का भला करने के लिए अच्छी नीयत होनी ज़रूरी है. लेकिन हमारे देश के नेता अपना क़ीमती वक्त उन मुद्दों पर बर्बाद करते हैं, जिनका आम जनता के स्वच्छ और सुरक्षित जीवन से कोई लेना-देना नहीं होता. एक साफ सुथरी सोच कैसे लोगों का जीवन बदल सकती है, इसे समझाने के लिए मैं आपको Netherlands का उदाहरण देना चाहता हूं. Netherlands के Rotterdam शहर को उसके ऐतिहासिक Architecture के लिए पहचाना जाता है.

हालांकि, किसी ज़माने में Rotterdam दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक था. लेकिन, Award-Winning Dutch Designer और Innovator, डान रोज़गार्ड ने ‘काले धुएं’ से मुक्ति पाने के लिए जो Design तैयार किया है, वो भारत सहित कई देशों की फिज़ाओं को ‘शुद्ध हवाओं’ वाला वातावरण दे सकता है. अभी आप अपनी टीवी स्क्रीन पर जो Tower देख रहे हैं, वो दुनिया का पहला Smog-Free Tower है. जिसे वर्ष 2015 में Netherlands के Rotterdam शहर में Install किया गया था. Ozone Free ION Technology पर आधारित ये Tower, प्रति घंटे, 30 हज़ार क्यूबिक मीटर प्रदूषित हवा को साफ करता है.

7 मीटर ऊंचे Smog-Free Tower को इस तरह Design किया गया है, ताकि वो गंदी हवा को किसी Vacuum Cleaner की तरह अपने अंदर खींच सके. इसके बाद ये Tower गंदी हवा को Filter करता है, और Smog Free Air को बाहर निकालता है Netherlands में हुए Outdoor Test के दौरान ये पाया गया, कि Smog-Free Tower की मदद से, 60 फीसदी प्रदूषित हवा को शुद्ध करने में क़ामयाबी मिली. जब इस Tower को एक पार्किंग Garage के अंदर लगाया गया, तो इसने वहां की 70 फीसदी प्रदूषित हवा को शुद्ध कर दिया. Smog Free Tower, वातावरण में मौजूद PM 2.5 और PM10 जैसे खतरनाक कणों के 75 फीसदी अंश को अपने अंदर खींच लेता है. इसके बाद शुद्ध हवा Tower के चारों तरफ फैल जाती है.

जब Smog Free Tower प्रदूषित हवा को अपने अंदर खींचता है, तो वो हवा में मौजूद कार्बन के कणों को भी जमा कर लेता है. जिसकी मदद से कार्बन की अंगूठियां बनाई जाती है. आपको शायद पता नहीं होगा, कि हीरा असलियत में कार्बन के अणुओं से ही मिलकर बना होता है. इसलिए इन अंगूठियों की तुलना हीरे से भी की जा रही है. आपको ये भी बता दें…कि खुद रोज़गार्ड वर्ष 2018 तक भारत में Smog Free Project की शुरुआत करना चाहते हैं. और उनका पहला लक्ष्य होगा…देश की राजधानी दिल्ली. इसके संबंध में वो अपनी इच्छा पहले ही ज़ाहिर कर चुके हैं. हालांकि, इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार को भी आगे आने की ज़रुरत है. तभी जाकर….भारत की प्रदूषित हवा वाली समस्या का निदान हो पाएगा यहां पर आपको कुछ ज़रूरी टिप्स देना भी, हम अपनी ज़िम्मेदारी समझते हैं, ताकि आप प्रदूषण के इस आपातकाल में सुरक्षित रह सकें.

आपके लिए सबसे पहली सलाह यही है, कि 5 रुपये वाला Disposable Mask मत खरीदिए.. ये आपको प्रदूषण के कणों से नहीं बचाएगा. आपको ऐसे मास्क की ज़रूरत है, जिसमें कार्बन फिल्टर लेयर हो. ऐसे मास्क की कीमत 70 रुपये से लेकर 400 रुपये तक है, साथ ही ये मास्क Online भी उपलब्ध है. अगर संभव हो, तो घर पर एयर प्यूरीफायर लगवाइए. ये प्यूरीफायर वैक्यूम की तरह काम करते हैं, और हवा में मौजूद ख़तरनाक कणों को Filter कर देते हैं. बड़ों की तुलना में बच्चे, ज़्यादा तेज़ी से सांस लेते हैं जिससे उनके लिए प्रदूषण का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए बच्चों का ख़ास ख्याल रखें और कम से कम घर के अंदर के वातावरण को प्रदूषण मुक्त रखें.

दिन के मुकाबले रात में प्रदूषण का ख़तरा ज़्यादा होता है. तापमान जितना कम और मौसम जितना ठंडा होगा, हवा में मौजूद प्रदूषण के ज़हर की मारक क्षमता उतनी ही ज़्यादा होगी, इसलिए ठंड के मौसम में रात में बाहर जाते हुए सावधानी बरतें. घर के अंदर लगाए जाने वाले कुछ पौधे ज़हरीली हवा को साफ करने में मददगार साबित होते हैं.. उदाहरण के तौर पर Weeping fig, Peace lily, Devil’s Ivy, और Flamingo Flower, ये सारे ही पौधे Indoor Plants हैं. 5 से 6 बड़े गमलों में इन पौधों को लगाकर आप अपने घर के अंदर के प्रदूषण में 50 प्रतिशत तक की कमी ला सकते हैं.

ये एक बहुत बड़ी विडंबना है कि हमारे देश में जात-पात, धर्म, राजनीति और भारत-पाकिस्तान और असहनशीलता जैसे मुद्दों पर सब ध्यान देते हैं, देश के GDP और आर्थिक विकास पर भी जमकर विचार विमर्श होता है. लेकिन साफ हवा और साफ पानी की बात कोई नहीं करता है . प्रदूषण हमारे देश के नेताओं की Priority List में है ही नहीं. वायु प्रदूषण की वजह से भारत में हर साल लाखों लोगों की मौत हो रही है.. लेकिन हमारे देश के नेताओं के लिए ये कोई मुद्दा नहीं है. इसे लेकर कोई विरोध प्रदर्शन नहीं होते… कोई कैंडल मार्च नहीं निकाले जाते.. और किसी का इस्तीफा भी नहीं मांगा जाता.

भारत में राजनीतिक पार्टियों के मेनीफेस्टो में आपको तरह तरह के गैरज़रूरी मुद्दे मिल जाएंगे.. लेकिन आपको प्रदूषण का मुद्दा शायद ढूंढने से भी ना मिले. राजनीतिक पार्टियां धर्म, जाति और आरक्षण को लेकर बड़े बड़े वादे करती हैं.. लेकिन आम लोगों को स्वच्छ हवा का अधिकार देने का वादा कोई नहीं करता. ये तस्वीर हमें बदलनी होगी. वैसे हमारा ये भी मानना है कि प्रदूषण कम करने की ज़िम्मेदारी सरकार के साथ साथ देश के हर नागरिक की भी है

बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो समाज के प्रति अपनी इस ज़िम्मेदारी को समझते हैं और उसे निभाते हैं. हमारी आपसे अपील है कि अगर आप साफ हवा में सांस लेना चाहते हैं तो वातावरण को प्रदूषण मुक्त बनाने में कम से कम अपनी भूमिका ठीक से निभाएं. और अपने जनप्रतिनिधियों से स्वच्छ हवा का अधिकार मांगें.