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नीति का प्रभाव

मेक्सिको सिटी: प्रोएयर (1990)

एक समय ‘‘मेकसिको सिटी’’ के नाम से पुकारा जाने वाले मैक्सिको शहर में प्रदूषण 57 प्रतिशत घट गया है। प्रोएयर नीतियों ने निवासियों को दो वर्ष से भी अधिक अतिरिक्त जीने की गुंजाइश उपलब्ध कराई है।

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1980 के दशक में मैक्सिको सिटी में प्रदूषण की स्थिति इतनी खराब थी कि बताया जाता है कि उस समय  आकाश में उड़ते हुए पक्षी  गिरकर मर जाते थे। स्थानीय लोगों ने कहा कि वहां रहना एक दिन में दो पैकेट सिगरेट पीने जैसा था। यहां तक कि आकाश साफ रहने पर भी सड़क के दूसरी ओर देख पाना मुश्किल होता था। एक रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘आप इसे देश सकते हैं, महसूस कर सकते हैं, चख सकते हैं, अपने कपड़ों पर से और कुत्ते के रोयों पर से झाड़कर गिरा सकते हैं’’।

यह प्रदूषण 1940 के दशक में शुरू होकर दशकों तक जारी रहे औद्योगीकरण का परिणाम था। उस समय मैक्सिको सिटी प्रदूषण नियंत्रण के बिना जहर और प्रदूषण से भरे इंधन से चलने वाले दसियों लाख वाहनों के साथ-साथ अत्यंत प्रदूषणकारी तेल शोधक संयंत्रों, विद्युत संयंत्रों और कारखानों का ठिकाना बन गया था। यही नहीं, उसकी ऊंचे बेसिन वाली स्थलाकृति और मौसम के पैटर्न ऐसे थे कि इन प्रदूषकों को महानगरीय क्षेत्र में ही फंसकर रह जाना था।

दमा के बढ़े दौरों, कैंसर और तंत्रिका संबधी तथा मनोवैज्ञानिक गड़बड़ियों के बावजूद, सरकार का फोकस रोजगार और जीवन स्तर पर बना रहा था। लेकिन लोगों की चीख-पुकार बढ़ने लगी थी। उनकी चिंताओं को लेखक कार्लोस फ्यूएंटस ने ज़बान दी जिन्होंने अपने उपन्यास में शहर का नया नामकरण ‘‘मेकसिको सिटी’’ किया। मैक्सिको सिटी में सेवा दे रहे अमेरिकी डिप्लोमेट्स को दी गई सेवा के हर वर्ष के लिए स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों की क्षतिपूर्ति के बतौर दो वर्ष पहले ही सेवानिवृत्त हो जाने की अनुमति दी गई थी।


नीति

वर्ष 1992 में संयुक्त राष्ट्र ने मैक्सिको सिटी को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर घोषित किया। उस समय तक सरकार ने 1990 में वायु प्रदूषण के विरुद्ध व्यापक कार्यक्रम (पीआइसीसीए) शुरू करके उससे मुकाबला करना शुरू कर दिया था। इस कार्यक्रम ने नए वाहनों में कैटालाइटिक कनवर्टर लगाना जरूरी कर दिया, सीसा-रहित गैसालिन की शुरुआत की, और वाहनों के उत्सर्जन के मानक स्थापित किए।

वर्ष 1995 में वायु प्रदूषण के विरुद्ध व्यापक कार्यक्रम का नाम बदलकर मैक्सिको घाटी वायु गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम या प्रोएयर कर दिया गया। प्रोएयर ने वाहनों के इंधन और उत्सर्जन के निरीक्षणों और मानकों में और अधिक सुधार किया, औद्योगिक केंद्रों में कोयला और तेल की जगह अपेक्षाकृत स्वच्छ प्राकृतिक गैस का उपयोग शुरू कराया, और अधिक प्रदूषण वाले उद्योगों को महानगरीय क्षेत्र के बाहर शिफ्ट कराया। मैक्सिको का राष्ट्रीय पेट्रॉलियम उद्योग पेमेक्स भी अधिक साफ, अधिक कुशल इंधनों का उत्पादन करने लगा।

प्रोएयर-3 अर्थात नीति का तीसरा चरण 2002 से 2010 तक चला और इसके लिए सार्वजनिक और प्राइवेट फंडिंग से 12 से 15 अरब अमेरिकी डॉलर की जरूरत पड़ी। प्रोएयर-3 के तहत 80 से भी अधिक पहलकदमियां शुरू की गईं जिनमें सवार्धिक प्रदूषणकारी औद्योगिक केंद्रों को बंद करना और वाहनों द्वारा उत्सर्जन में कमी लाने के लिए सार्वजनिक परिवहन में सुधार लाना शामिल था। इसमें शामिल थीं :

    • सबवे सिस्टम का विस्तार करना;
    • बेतरतीब फैलते महानगरीय क्षेत्र में उपनगरीय रेल व्यवस्था की शुरुआत करना;
    • लैटिन अमेरिका के सबसे बड़े बाइक-शेयर कार्यक्रम इकोबिसी की शुरुआत करना; और
    • मेट्रोबस की शुरुआत करना। मेट्रोबस एक बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम है जिसमें इंधन के स्वच्छ और किफायती उपयोग वाले बसों का समूह चलता है जिनसे सप्ताह के हर काम वाले दिन 10 लाख से भी अधिक लोग यात्रा करते हैं। अनुमान है कि मेट्रोबस से वायु प्रदूषण में कमी लाने के अलावा मैक्सिको सिटी के कार्बन फुटप्रिंट में 80,000 टन की वार्षिक कमी लाई गई।

अभी, 2011 से 2020 तक प्रोएयर-4 चल रहा है जिसके तहत उर्जा की खपत और उत्सर्जन में कमी, सार्वजनिक परिवहन के हरितीकरण को जारी रखने, पुनर्वनीकरण करने, और शोध के लिए उपाय किए गए हैं।

ऐसा नहीं है कि सारे सुधार विवादरहित रहे हैं। जैसे, शहर का एक बड़ा सुधार ‘‘होय नो सर्कुला’’ लागू करना था। इस कार्यक्रम के तहत, मौसम के अनुसार सप्ताह में हर दिन लाइसेंस प्लेट पर किसी खास नंबर वाली कारों का सड़कों पर चलना प्रतिबंधित था, चाहे उनके अंत में विषम संख्या हो या सम संख्या। लेकिन इस बात के प्रमाण हैं कि प्रतिबंधों को धता बताने के लिए निवासियों ने दूसरी कार खरीद ली या जिस दिन वाहन नहीं चलना था उस दिन वे टैक्सी से चलने लगे। इससे कुछ अर्थशास्त्री यह विश्वास करने लगे कि कार्यक्रम से हवा की गुणवत्ता में सुधार के मामले में कोई योगदान नहीं हुआ।


प्रभाव

हालांकि हवा की गुणवत्ता पर नीतियों का प्रभाव अभी भी बहस का विषय है लेकिन मैक्सिको सिटी के मॉनीटरों के आंकड़े दर्शाते हैं कि 1990 में प्रोएयर नीतियों की शुरुआत के समय से लेकर अभी तक कणीय प्रदूषण में 57 प्रतिशत कमी आई है जिससे निवासियों की जिंदगी दो वर्ष से भी अधिक बढ़ गई है। [1]  इसी तरह, अन्य प्रदूषकों का संकेंद्रण भी नाटकीय ढंग से कम हुआ है। वायु प्रदूषण में तो 2000 के दशक के मध्य के पहले ही काफी कमी आ गई थी। लेकिन सबसे आसान काम अर्थात सबसे आसानी से कम होने वाले प्रदूषण में कमी का काम पूरा होते ही, प्रदूषण के स्तरों में स्थिरता आ गई। वर्ष 2014 से तो कणीय प्रदूषण फिर से बढ़ने लगा है।

वायु गुणवत्ता जनित जीवन सूचकांक का अनुमान है कि 1998 से 2016 तक विस्तार वाले इस सूचकांक के आंकड़ों की अवधि में कणीय प्रदूषण में बदलाव के कारण जीवन संभाव्यता में 1.6 वर्षों की शुद्ध वृद्धि हुई है। अगर इस सूचकांक के आंकड़े 1990 को कवर करते जब प्रोएयर का पहली बार क्रियान्वयन शुरू हुआ था, तो हम पाते कि जीवन संभाव्यता में और अधिक वृद्धि हुई है क्योंकि कणीय प्रदूषणों में शुरुआती दौर में अधिक कमी आती है।

आगे बढ़कर देखें, तो परिवहन प्रदूषण का सबसे बड़ा स्रोत बना हुआ है। मैक्सिको सिटी बेतरतीब ढंग से बसा महानगर है जहां से होकर गुजरने में प्रदूषण का उत्सर्जन करने वाले वाले वाहन तीन घंटे ले सकते हैं। शहरी ढांचे को नया रूप देना समस्या की जड़ पर चोट कर सकता है, लेकिन यह आर्थिक और व्यवहारिक रूप से मुश्किल है। इसके अलावा, प्रदूषण संबंधी नीतियों के तहत सिर्फ मौजूदा प्रदूषण को टैकल नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि नियामकों के सामने अन्य चुनौतियां पेश करने वाले शहर के तेज विकास को भी ध्यान में रखकर कदम उठाए जाने चाहिए।


[1] बीते समय के – 1990 तक के भी आंकड़े पाने के लिए इस पृष्ठ में मैक्सिको सिटी की सरकार के जमीनी मॉनीटरों के आंकड़ों का उपयोग किया गया है जो एर क्वालिटी लाइफ़ इंडेक्स के मैप टूल में प्रयुक्त उपग्रह से प्राप्त आंकड़ों से भिन्न हैं। चूंकि पीएम2.5 को 2003 तक नहीं मापा जाता था जबकि पीएम10 को 1990 से मापा गया है, इसलिए स्वच्छ वायु अधिनियम नीति के प्रभाव वाले पृष्ठ में जैसे किया गया है, वैसे ही हम यह मानकर आगे बढ़े हैं कि किसी खास स्थान पर पीएम2.5-पीएम10 अनुपात पूरे समय में स्थिर है। मैक्सिको सिटी के जिन चार मॉनीटरों (ला मर्सेड, पेड्रेगाल, त्लालनेपांत्ला, और ज़ैलोस्टॉक) द्वारा 1990 से 2017 की पूरी अवधि में पीएम10 को मापा गया है वहां इन वर्षों के दौरान पीएम10 में औसतन 57 प्रतिशत कमी आई है।
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