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नीति का प्रभाव

संयुक्त राज्य अमेरिका: स्वच्छ वायु अधिनियम (1970)

62% कम प्रदूषण की वजह से, अमरीकी अधिक स्वस्थ और लंबा जीवन जी रहे है। सिर्फ़ कणीय प्रदूषण कम होने से, मुख्य रूप से क्लीन एर ऐक्ट को धन्यवाद, 1970 से औसतम अमरीकी की जीवन प्रत्याशा में 1.5 साल बड़ गए है।

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आज कणीय वायु प्रदूषण अमेरिका के अधिकांश हिस्सों में कोई बड़ी समस्या नहीं है। लेकिन हमेशा ऐसी स्थिति नहीं थी। 19वीं सदी में कोयला-प्रेरित औद्योगिक क्रांति स्वास्थ्य या पर्यावरण की चिंता किए बिना मुख्यतः निरंकुश बनी रही। नए रिसर्च में उस समय की वायु प्रदूषण की गंभीरता के हमारे अनुमानों का सामने लाया जाना जारी है। उसके बाद, द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अमेरिकी उद्योग महामंदी से उबरा, तो ‘‘बेबी बूम’’ पीढ़ी के जन्म के बाद जनसंख्या बढ़ी, शुरुआती उच्चपथों का निर्माण हुआ और आधुनिक साजो-सामान से युक्त नए घरों की तलाश में अमेरिकी लोगों के झुंझ के झुंड उपनगरों की ओर कूच कर गए। ऊर्जा की घरेलू और औद्योगिक खपत बढ़ने, तथा सड़कों पर अधिक वाहनों के चलने से प्रदूषण बढ़ने लगा।

इस सघन प्रदूषण के प्रभाव अपना निशान छोड़ने लगे। वर्ष 1948 में पेंसिलवानिया के दोनोरा औद्योगिक शहर में धुआंयुक्त घने कोहरे की घटना (एपिसोड ऑफ हैवी स्मॉग) ने एक सप्ताह से कम समय में ही 20 से अधिक लोगों की जान ले ली और आधी से अधिक आबादी को बीमार कर दिया। बाद के महीनों में और अधिक लोग मरे और बाद के वर्षों में भी सामान्य से अधिक मृत्यु दर बनी रही।

दोनोरा स्मॉग इस बात का चरम लेकिन सजीव उदाहरण है कि किस तरह से औद्योगीकरण स्वास्थ्य या पर्यावरण संबंधी चिंताओं से मोटे तौर पर मुक्त था। समय के साथ इसने अमेरिकी लोगों में इस बात के प्रति जागृति पैदा की कि पूरे देश में दैनिक प्रदूषण का स्तर उनके स्वास्थ्य के लिए जोखिम है। वर्ष 1970 तक ओहियो महानगर क्षेत्र के स्ट्यूबेनविले में कणीय प्रदूषण का संकेंद्रण उतना ही हो गया था जितना हाल के वर्षों में बीजिंग में रहा है। लॉस ऐंजल्स दुनिया के स्मॉग कैपिटल के बतौर जाना जाने लगा था, और अन्य बड़े महानगर क्षेत्र भी बहुत पीछे नहीं थे।


नीति

तब ढेर सारे अमेरिकी लोगों के लिए दैनिक जिंदगी का एक हिस्सा ही पर्याप्त हो गया था। फलतः देश के दसियों लाख लोगों ने अप्रील 1970 में पहले पृथ्वी दिवस पर स्वच्छ पर्यावरण के लिए जुलूस निकाला। महज कुछ ही महीनों के बाद कांग्रेस ने स्वच्छ वायु अधिनियम का सशक्त अपडेट पारित किया। इस ऐतिहासिक कानून ने :

अन्य प्रदूषकों के साथ-साथ कणीय पदार्थों के लिए अधिकतम स्वीकार्य सीमा तय करते हुए राष्ट्रीय व्यापक वायु गुणवत्ता मानकों (एनएएक्यूएस) की स्थापना की।

प्रदूषण के स्रोतों के लिए उत्सर्जन के मानक तय किए, जिसके कारण औद्योगिक केंद्रों को प्रदूषण नियंत्रण प्रौद्योगिकियां स्थापित करनी पड़ीं और वाहन निर्माताओं को अधिक स्वच्छ और इंधन की किफायती खपत वाले वाहन तैयार करने पड़े।

हर राज्य सरकार के लिए मानकों को हासिल करने और उन्हें बरकरार रखने के लिहाज से अपनी योजनाएं बनाना जरूरी बना दिया।

साथ ही साथ, संघीय सरकार ने पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (ईपीए) की स्थापना की जिसे अन्य अधिकारों के साथ-साथ राज्य, स्थानीय और जनजातीय अधिकारियों के साथ साझेदारी में स्वच्छ वायु अधिनियम को लागू करने का काम सौंपा गया। एजेंसी यह काम नए केंद्रों और वाहनों का प्रमाणीकरण करके, उल्लंघनों को रोकने के लिए समय-समय पर उनका निरीक्षण करके और निरीक्षणों में खरे नहीं उतरने पर मालिकों को न्यायालय में पहुंचाकर करती है। ये मुकदमे उनके लिए विनियमों का पालन करना ही जरूरी नहीं बना देते हैं, कंपनी को जुर्माना चुकाना और पर्यावरण राहत परियोजनाओं में अंशदान करना भी पड़ता है।

वर्ष 1970 से ही, स्वच्छ वायु अधिनियम द्वारा मूल रूप से स्थापित विनियमों और मानकों को अनेक बार अपडेट किया गया है ताकि वे उत्सर्जन नियंत्रण में हुई प्रौद्योगिकीय प्रगति को प्रतिबिंबित करें और समझ पैदा करें कि किस स्तर तक प्रदूषक सुरक्षित हैं। [1]  इन दशकों में पर्यावरण संबंधी अन्य नीतियों और आर्थिक रुझानों का भी वायु प्रदूषण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा हालांकि उनका उनका मूल लक्ष्य वायु प्रदूषण में कमी नहीं था। इससे स्वच्छ वायु अधिनियम का अतिरिक्त अनुपालन हुआ। जैसे 1990 के दशक के आरंभ में बुश प्रशासन ने अम्लीय वर्षा में कमी लाने का प्रयास किया। उसका समाधान कणीय पदार्थों के एक स्रोत सल्फर डायक्साइड के लिए कैप-एंड-ट्रेड सिस्टम को लागू करना था। पर्यावरण संबंधी विनियमों के अलावा स्थानीय विनियमों और इन नियमों के कारण अपेक्षाकृत गंदे उद्योगों को दूसरे देशों में शिफ्ट करने से भी मदद मिली, लेकिन स्वच्छ वायु अधिनियम सुधारों का मुख्य कारण रहा है।


प्रभाव

स्वच्छ वायु अधिनियम ने अमेरिकी लोगों द्वारा सांस ली जाने वाली हवा की गुणवत्ता पर तेजी से प्रभाव डाला। वर्ष 1980 तक औद्योगिक उत्सर्जनों पर नियंत्रण ने कणीय प्रदूषण में 50 प्रतिशत कमी कर दी थी, अर्थात पूरे देश में कणीय पदार्थों के व्यापक संकेंद्रण में 20 प्रतिशत कमी आ गई थी। आज अमेरिकी लोग जिस हवा में सांस लेते हैं उसमें 1970 की अपेक्षा पीएम2.5 का 60 प्रतिशत कम प्रदूषण है। [2]

हवा में कम प्रदूषण रहने से नागरिक अधिक स्वस्थ और अधिक लंबा जीवन जी रहे हैं। जैसे, पहले स्मॉग कैपिटल कहे जाने वाले लॉस एंजेल्स में कणीय प्रदूषण 1970 से लगभग 40 प्रतिशत घट गया है जिससे वहां के निवासियों की जीवन संभाव्यता औसतन एक वर्ष बढ़ गई है। न्यूयॉर्क और शिकागो के निवासियों का जीवनकाल औसतन दो वर्ष बढ़ गया है, और वाशिंगटन  डीसी के निवासियों का जीवनकाल तो लगभग 3 वर्ष बढ़ गया है। इन चारो महानगरों में 4.9 करोड़ लोग रहते हैं जहां जीवन संभाव्यता में तेजी से वृद्धि हुई है।



अपेक्षाकृत छोटे शहर और नगर, जो 1970 के दशकों पहले ऐसे उद्योगों के केंद्र थे जो प्रदूषण नियंत्रण प्रति कोई सम्मान नहीं दिखाते हुए चलते थे। लेकिन उन शहरों में कुछ सबसे बेहतर सुधार दिखे। वर्ष 1970 में अल्बामा के मोबिल में कणीय प्रदूषण के सुरक्षित स्तर के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के गाइडलाइन पर हवा के खरा नहीं उतरने के कारण वायु प्रदूषण से उस स्थिति की तुलना में निवासियों की जीवन संभाव्यता में लगभग 4 वर्षों की कमी की आशंका हो सकती थी। आज मोबिल में प्रदूषण 84 प्रतिशत घट गया है जिसके चलते विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन के लिहाज से जीवन संभाव्यता में कमी का वहां कोई भय नहीं है।

इस समय लगभग 21.3 करोड़ लोग ऐसी जगहों पर रहते हैं जहां 1970 में कणीय पदार्थों की मॉनीटरिंग की जाती थी और आज भी की जाती है। [3] ये लोग 1.5 वर्ष अतिरिक्त जीने की आशा कर सकते हैं, और उन सभी के जीवन में कुल 32.50 करोड़ जीवन वर्ष जुड़ गए हैं। [4]

स्वच्छ वायु अधिनियम के कारण अमेरिका में प्रदूषण में जैसी कमी हासिल की गई, वैसी 60 प्रतिशत कमी हासिल करने के पहले और बाद में 5 करोड़ या अधिक आबादी वाले दुनिया के 5 सबसे प्रदूषित देश


वर्ष 1970 में पीएम2.5 के संकेंद्रण और कणीय प्रदूषण के कारण जीवन संभाव्यता में परिवर्तन का जो अनुमान किया गया था, उसकी विस्तृत जानकारी के लिए देखें यह तकनीकी परिशिष्ट


[1]  वर्ष 1997 तक स्वच्छ वायु अधिनियम के तहत पीएम2.5 को कुल निलंबित कणीय पदार्थों या पीएम10 में शामिल माना जाता था। उसके बाद से यह प्रदूषण का एक अलग सूचक बन गया जिसके मानक और राष्ट्रीय मॉनीटरिंग नेटवर्क स्थापित किए गए।
[2]  वर्ष 1997 से कणीय प्रदूषण में परिवर्तन के अनुमान के लिए इस विश्लेषण में वायु गुणवत्ता जनित जीवन सूचकांक (एक्यूएलआइ) के प्रदूषण संबंधी आंकड़ों को अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी के मॉनीटरिंग के आंकड़ों के साथ मिला दिया गया है। प्रविधि पर विशेष जानकारी के लिए ऊपर लिंक किया गया तकनीकी परिशिष्ट देखें।
[3]  पर्यावरण संरक्षण एजेंसी के मॉनीटरिंग नेटवर्क द्वारा देश के सबसे अधिक आबादी वाले या प्रदूषित क्षेत्रों को ही फोकस किया जाता है। यही कारण है कि इन गणनाओं में लगभग 17.4 करोड़ लोग शामिल नहीं हो पाए हैं।
[4]  ये सारे लाभ स्वच्छ वायु अधिनियम के विनियमों के कारण ही नहीं हुए। अन्य कारकों में स्थानीय विनियम और अपेक्षाकृत गंदे उद्योगों को विदेशों में शिफ्ट करना भी शामिल था। लेकिन स्वच्छ वायु अधिनियम इसका मुख्य कारण था।