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November 19, 2018

नए सूचीकांक के मुताबिक़, वायु प्रदूषण वैश्विक जीवन प्रत्याशा को लगभग 2 साल कम करता, जो इसको मानव स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा बनाता है

एशिया में जीवन प्रत्याशा में कमी सर्वाधिक है, जो भारत और चीन के कई भागों में 6 वर्षों से भी अधिक है; संयुक्त राज्य अमेरिका के कुछ निवासी अभी-भी प्रदूषण के कारण जीवन में एक वर्ष तक खो देते हैं।

ग्रीनस्टोन ने यह भी कहा, “मेरे सहकर्मियों और मैंने इन कमियों की भरपाई के लिए एक्यूएलआई विकसित किया है, जिसमें ‘एल’ का अर्थ लाइफ़ से है। यह कणीय वायु प्रदूषण सांद्रताओं को लेकर उन्हें एक ऐसी माप में बदल देता है जो शायद आज मौजूद सबसे महत्वपूर्ण माप है – जीवन प्रत्याशा।”

एक्यूएलआई दो सहकर्मी-समीक्षित अध्ययनों पर आधारित है जिनके सह-रचयिता ग्रीनस्टोन हैं। यह सूचकांक मनुष्य के कणिकीय प्रदूषण से दीर्घकालिक संपर्क और जीवन प्रत्याशा के बीच के करणीय संबंध को मात्रात्मक रूप देता है। इसके बाद इन अध्ययनों से प्राप्त परिणामों को अति-स्थानीकृत, वैश्विक कणिकीय पदार्थ मापनों के साथ संयुक्त किया जाता है, जिससे दुनियाभर के समुदायों में वायु प्रदूषण की वास्तविक लागत की ऐसी अंतर्दृष्टि मिलती है जो इससे पहले कभी नहीं मिली थी। यह सूचकांक यह भी दर्शाता है कि कैसे वायु प्रदूषण संबंधी नीतियां, संपर्क का सुरक्षित स्तर माने जाने वाले विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के दिशानिर्देश, मौजूदा राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों, या उपयोक्ता-परिभाषित वायु गुणवत्ता स्तरों को संतुष्ट करने पर जीवन प्रत्याशा बढ़ा सकती हैं। इस जानकारी से स्थानीय समुदायों और नीति-निर्माताओं को वायु प्रदूषण की महत्ता के बारे में बेहद ठोस आँकड़ों के रूप में सूचित करने में मदद मिल सकती है।

एक्यूएलआई दो सहकर्मी-समीक्षित अध्ययनों पर आधारित है जिनके सह-रचयिता ग्रीनस्टोन हैं। यह सूचकांक मनुष्य के कणिकीय प्रदूषण से दीर्घकालिक संपर्क और जीवन प्रत्याशा के बीच के करणीय संबंध को मात्रात्मक रूप देता है। इसके बाद इन अध्ययनों से प्राप्त परिणामों को अति-स्थानीकृत, वैश्विक कणिकीय पदार्थ मापनों के साथ संयुक्त किया जाता है, जिससे दुनियाभर के समुदायों में वायु प्रदूषण की वास्तविक लागत की ऐसी अंतर्दृष्टि मिलती है जो इससे पहले कभी नहीं मिली थी। यह सूचकांक यह भी दर्शाता है कि कैसे वायु प्रदूषण संबंधी नीतियां, संपर्क का सुरक्षित स्तर माने जाने वाले विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के दिशानिर्देश, मौजूदा राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों, या उपयोक्ता-परिभाषित वायु गुणवत्ता स्तरों को संतुष्ट करने पर जीवन प्रत्याशा बढ़ा सकती हैं। इस जानकारी से स्थानीय समुदायों और नीति-निर्माताओं को वायु प्रदूषण की महत्ता के बारे में बेहद ठोस आँकड़ों के रूप में सूचित करने में मदद मिल सकती है।

दुनिया की पचहत्तर प्रतिशत जनसंख्या, यानि 5.5 अरब लोग, ऐसे स्थानों में रहते हैं जहां कणिकीय प्रदूषण डब्ल्यूएचओ दिशानिर्देश से अधिक है। एक्यूएलआई से पता चलता है कि भारत और चीन, जिनकी कुल जनसंख्या दुनिया की जनसंख्या का 36 प्रतिशत है, कणिकीय प्रदूषण के कारण खोए जीवन के कुल वर्षों का 73 प्रतिशत खोते हैं। यदि भारत WHO दिशानिर्देश को संतुष्ट करे तो यहां के लोग औसतन 4.3 वर्ष अधिक जिएंगे – जन्म के समय की यहां की जीवन प्रत्याशा 69 से बढ़कर 73 वर्ष हो जाएगी। संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग एक तिहाई जनसंख्या ऐसे स्थानों में रहती है जो डब्ल्यूएचओ दिशानिर्देश के अनुपालक नहीं हैं। यदि प्रदूषण डब्ल्यूएचओ दिशानिर्देश को संतुष्ट करे तो देश की सर्वाधिक प्रदूषित काउंटियों में रहने वाले लोग एक वर्ष तक अधिक जीने की आशा कर सकते हैं।

वैश्विक स्तर पर, एक्यूएलआई बताता है कि कणीय प्रदूषण जीवन प्रत्याशा में औसतन 1.8 वर्ष की कमी करता है, जो इसे मानव स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा ख़तरा बनाता है। तुलना करें तो, फर्स्ट हैंड सिगरेट धूम्रपान से वैश्विक औसत जीवन प्रत्याशा में लगभग 1.6 वर्ष की कमी होती है। मानव स्वास्थ्य के अन्य जोखि़मों के प्रभाव और भी छोटे हैं : शराब और मादक पदार्थ जीवन प्रत्याशा में 11 माह की कमी करते हैं; असुरक्षित जल और अपर्याप्त स्वच्छता से 7 माह की कमी आती है; और एचआईवी/एड्स से 4 माह की। टकराव और आतंकवाद 22 दिन कम कर देते हैं। इस प्रकार, जीवन प्रत्याशा पर कणीय प्रदूषण का प्रभाव धूम्रपान के लगभग बराबर है, शराब और मादक पदार्थों के सेवन से दोगुना है, असुरक्षित जल से तीन गुना है, एचआईवी/एड्स से पांच गुना है, और टकरावों एवं आतंकवाद से 25 गुने से भी अधिक है।

ग्रीनस्टोन ने कहा, “जहां लोग धूम्रपान बंद कर सकते हैं और स्वयं को रोगों से सुरक्षित रखने के कदम उठा सकते हैं, वहीं जिस हवा में सांस लेते हैं उससे स्वयं को सुरक्षित रखने के लिए वे व्यक्तिगत स्तर पर ज़्यादा कुछ नहीं कर सकते हैं। एक्यूएलआई नागरिकों और नीति-निर्माताओं को बताता है कि कैसे कणीय प्रदूषण उन्हें और उनके समुदायों को प्रभावित कर रहा है, और यह कणीय प्रदूषण घटाने की नीतियों के लाभ भी स्पष्ट करता है।”

कुछ महत्वपूर्ण पहलू इस सूचकांक को इस क्षेत्र के अधिकांश कार्यों से अलग बनाते हैं। वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य संबंधी प्रभावों को सारांशित करने के पिछले प्रयास संबंधात्मक अध्ययनों पर निर्भर रहे हैं जिनमें वायु प्रदूषण के प्रभावों को मानव स्वास्थ्य के अन्य निर्धारकों से जुड़ा मान लेने की ग़लतियां होने की काफ़ी संभावनाएं हैं। वे संयुक्त राज्य अमेरिका में निचले स्तरों से प्राप्त संबंधात्मक साक्ष्य के बहिर्गणन या सिगरेट अध्ययनों से प्राप्त बहिर्गणन पर भी निर्भर रहे हैं। इसके विपरीत, एक्यूएलआई की जो शोध प्रक्रिया है वह वायु प्रदूषण के प्रभाव को स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले अन्य कारकों से अलग करती है और ऐसा वह आज एशिया के कई भागों में विद्यमान बहुत अधिक सांद्रता वाले प्रदूषण के आंकड़ों के आधार पर करती है। इसके अतिरिक्त, एक्यूएलआई औसत व्यक्ति के लिए जीवन प्रत्याशा में कमी का आकलन प्रदान करती है, जबकि अन्य पद्धतियां समय से पहले मर जाने वाले व्यक्तियों की संख्या बताती हैं, जिससे यह प्रश्न अनुत्तरित रह जाता है कि उनके जीवन से कितना समय कम हो गया या उनके उस कारक विशेष से प्रभावित होने की औसत से अधिक संभावना थी या नहीं (जैसे वृद्ध या रोगी)।

एक्यूएलआई के आधार की और व्याख्या करने और इसके कुछ शीर्ष-स्तरीय परिणाम प्रदर्शित करने के लिए, ईपीआईसी ने “वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक का परिचय : कणीय प्रदूषण, मानव स्वास्थ्य और वैश्विक नीति के बारे में बारह तथ्य” नामक एक रिपोर्ट तैयार की है। इस रिपोर्ट में कणीय प्रदूषण, वह कहां से आता है और वह शरीर को कैसे प्रभावित करता है इस बारे में अधिक जानकारी भी दी गई है।