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AQLI

प्रति व्यक्ति जीवन प्रत्याशा में कमी की गणना

एयर क़्वालिटी लाइफ़ इंडेक्स के जरिए वायु प्रदूषण और जीवन संभाव्यता के बीच संबंध के अनुमान प्रस्तुत किए जाते हैं जिससे इसके उपयोगकर्ता यह देख सकते हैं कि अगर उनका समुदाय विश्व स्वास्थ्य संगठन के गाइडलाइन या राष्ट्रीय मानकों अथवा किसी अन्य मानक का पालन करता तो उनकी जीवन संभाव्यता कितनी बढ़ सकती थी। ऐसा चीन में दो अध्ययनों के परिणामों को प्राप्त करने के जरिए किया गया है। पूरी दुनिया में जीवन संभाव्यता पर कणीय पदार्थों के प्रभाव के अनुमान के लिए अध्ययन के परिणामों को दुनिया की व्यापक जनसंख्या और पीएम2.5 के आंकड़ों के साथ संयुक्त किया गया है।

[नोट: यह पेज आखिरी बार 2019 में अपडेट किया गया था। नवीनतम अपडेट के लिए, इस पेज के ऊपरी दाएं कोने पर “ENG” पर क्लिक करके इस पेज के अंग्रेज़ी संस्करण को देखे।]

 

अनुसंधान डिज़ाइन

जीवन प्रत्याशा पर कणीय प्रदूषण का प्रभाव

AQLI माइकल ग्रीनस्टोन, अव्राहम इबेंसटीन, माओयोंग फान, गुओजुन हे, और माइगेंग झाउ (2017) द्वारा किए गए एक अध्ययन पर आधारित है जो अद्वितीय सामाजिक सेटिंग के कारण किसी व्यक्ति की जीवन संभाव्यता पर प्रदूषण के उच्च स्तर के दीर्घकालिक एक्सपोजर के प्रभाव को मापने में सफल रहे थे।

चीन में, उत्तर के क्षेत्र पारंपरिक रूप से उच्चस्तरीय प्रदूषण का अनुभव करते रहे हैं। इसका आंशिक कारण योजना अवधि (अर्थात 1950 से 1980) में शुरू की गई सरकारी नीतियां थीं जिसके तहत हुआइ नदी के उत्तर के अपेक्षाकृत ढंडे क्षेत्र में रहने वाले लोगों को गर्मी के लिए बॉयलर चलाने के लिहाज से मुफ्त कोयला दिया जाता था। इस नीति का मकसद जाड़ा में सबसे अधिक जरूरत वालों को गर्मी उपलब्ध कराना था लेकिन इसके कारण हुआइ नदी के दक्षिण की अपेक्षा उत्तर के लोगों को कोयला पर अधिक और अलग ढंग का भरोसा हो गया। इस नीति की विरासत आज भी बरकरार है और घर को अंदर से गर्म करने की दर में हुआइ नदी के दक्षिण और उत्तर में काफी अंतर है क्योंकि उत्तर में अभी भी कोयला आधारित हीटिंग सिस्टम पर भरोसा बना हुआ है। साथ ही, हूकाउ पारिवारिक निंबधन प्रणाली ने लोगों को अपने जन्म के समय वाले समुदायों को छोड़ने के लिए हतोत्साहित किया। इसका प्रभावी अर्थ यह हुआ कि कणीय प्रदूषण के एक्सपोजर वाले लोगों का अपेक्षाकृत साफ हवा वाले क्षेत्रों में प्रवास नहीं हो सका। इन दोनो नीतियों के संयुक्त प्रभाव ने एक अद्वितीय सीमा रेखा खींच दी जहां शोधकर्ता उच्चस्तरीय प्रदूषण के दीर्घकालिक प्रभाव का अध्ययन कर सके और जीवन संभाव्यता को प्रभावित करने वाले अन्य कारकों के प्रभाव से इसको अलग कर सके।

इन दोनो अध्ययनों में से बाद में हुए अध्ययन से पता चलता है कि पीएम10. के 10 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर अतिरिक्त प्रदूषण के दीर्घकालिक एक्सपोजर से जीवन संभाव्यता 0.64 वर्ष घट जाती है। [3] हालांकि अध्ययन पूरी तरह से चीनी सेटिंग पर आधारित था, लेकिन अध्ययन में शामिल क्षेत्रों और वर्षों में प्रदूषण के स्तरों का बड़ा रेंज दिखा। हुआइ नदी के 5 डिग्री अक्षांश के अंदर वाले क्षेत्रों में औसत के मानक विचलन (स्टैंडर्ड डेविएशन) के तहत पीएम10 के स्तरों का रेंज 75 से 148 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर पीएम10 है (जो 48 से 96 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर पीएम2.5 के लगभग बराबर है)। नदी के 5 डिग्री अक्षांश के अंदर पूरा रेंज 27 से 307 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर पीएम10 है (जो 18 से 200 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर पीएम2.5 के बराबर है)। इस प्रकार, जीवन संभाव्यता और कणीय प्रदूषण के बीच एर क्वालिटी लाइफ़ इंडेक्स द्वारा निर्धारित संबंध पूरी दुनिया में देखे गए पीएम2.5 के वितरण से निकला है जिसने एबेंस्टीन एवं अन्य (2017) के द्वारा प्रदूषण और जीवन संभाव्यता के बीच मापे गए संबंध के सामान्यीकरण के लिए विश्वसनीय आधार उपलब्ध कराया है।


चित्र: एबेंस्टीन एवं अन्य (2017) में चीन में पीएम10 का संकेंद्रण और हुआइ नदी विभाजन रेखा

 

पीएम2.5 के लिए WHO की दिशा निर्देश और राष्ट्रीय मानक:

एर क्वालिटी लाइफ़ इंडेक्स के द्वारा कणीय पदार्थों के संकेंद्रण के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन या राष्ट्रीय स्तर पर प्रबंधित वायु गुणवत्ता मानकों (राष्ट्रीय मानकों) तक लाने के लिए पीएम2.5 के संकेंद्रण में कमी लाने से जीवन संभाव्यता में होने वाली वृद्धि को मापा जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन 10 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर की है जो दीर्घकालिक स्तर पर एक्सपोजर का निम्नतम स्तर है जिससे अधिक होने को 95 प्रतिशत से भी अधिक भरोसे के साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पाया है कि वह मृत्यु को बढ़ाने वाला होता है। [1] किसी खास देश में राष्ट्रीय स्तर पर प्रबंधित वार्षिक मानकों को 86 देशों के लिए चिन्हित किया गया था जिनका रेंज 8 से 40 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर था। [2] शेष देशों के लिए, जिनके लिए राष्ट्रीय मानक की पहचान नहीं की जा सकी, हमने मैप टूल पर लिखा है कि वहां पीएम2.5 संबंधी राष्ट्रीय मानक नहीं हैं और उनके लिए राष्ट्रीय मानक की तुलना में जीवन संभाव्यता में वृद्धि की गणना हम नहीं करते हैं। साथ ही, एर क्वालिटी लाइफ़ इंडेक्स उपयोग करने वालों को गुंजाइश देता है कि वे जीवन संभाव्यता में वृद्धि के रूप में परिणाम देखने के लिए प्रदूषण के संकेंद्रण में अपनी खुद की प्रतिशत कमी इंटर करें।

राष्ट्रीय मानक या विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन का पालन करने से जीवन संभाव्यता में वृद्धि का आकलन

एर क्वालिटी लाइफ़ इंडेक्स के निर्माण के लिए एबेंस्टीन एवं अन्य (2017) के परिणामों का उपयोग करने के लिए हमने सबसे पहले उसे पीएम2.5 में बदला। आंकड़ों की उपलब्धता संबंधी बाधाओं के कारण एबेंस्टीन एवं अन्य (2017) द्वारा जीवन संभाव्यता पर कणीय प्रदूषण के प्रभाव को पीएम10 (अर्थात 10 माइक्रोमीटर से कम व्यास वाले कणों) के स्तरों के बतौर मापा गया था। चूंकि प्रदूषण के वैश्विक आंकड़ों में सिर्फ सबसे हानिकारण किस्म के कणीय प्रदूषण – पीएम2.5 – की माप की जाती है इसलिए पीएम2.5-पीएम10 अनुपात (0.65) का उपयोग करके अध्ययन के अनुमानों को हमने पीएम2.5 की इकाइयों में बदला जो अध्ययन की अवधि में चीन की स्थितियों के लगभग पूरी तरह समकक्ष थी। [4] यह बदलकर इस तरह हुआ :

दूसरे शब्दों में, 10 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर पीएम2.5 के दीर्घकालिक एक्सपोजर से जीवन संभाव्यता 0.98 वर्ष घट जाती है।

महामारी-विज्ञान के साहित्य के अनुरूप वायु गुणवत्ता जनित जीवन सूचकांक के मामले में माना गया कि पीएम2.5 के देखे गए संपूर्ण वितरण की स्थिति में पीएम2.5 के दीर्घकालिक एक्सपोजर और जीवन संभाव्यता के बीच रैखिक संबंध है। [5] हालांकि यह संभव है कि पीएम2.5 के संकेंद्रण के कुछ खास रेंज के लिए प्रदूषण और जीवन संभाव्यता के बीच अरैखिक संबंध हो और/ या कोई ऐसी सीमा हो जिसके नीचे पीएम2.5 का कोई प्रभाव नहीं पड़ता हो। लेकिन हमें किसी विश्वसनीय प्रयोगसिद्ध प्रमाण की जानकारी नहीं है जो रैखिकता की हमारी मान्यता को खारिज कर दे। अतः हर ग्रिड सेल के अंदर जीवन संभाव्यता में संभावित वृद्धि के अनुमान के लिए वायु गुणवत्ता जनित जीवन सूचकांक में रेफरेंस स्टैंडर्ड (विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन या राष्ट्रीय मानक, अथवा उपयोगकर्ता द्वारा इंटर किया गया मानक) के ऊपर हर अतिरिक्त 10 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर के दीर्घकालिक एक्सपोजर के लिए जीवन संभाव्यता में 0.98 वर्ष की कमी जोड़ दी गई है।

प्रदूषण के संकेंद्रण और जीवन संभाव्यता में कमी, दोनो के लिए एर क्वालिटी लाइफ़ इंडेक्स में राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय प्रशासनिक सीमाओं के लिए ग्रिड-सेल स्तर के अनुमानों को ऍग्रीगेट किया गया है। ऍग्रीगेशन में जनसंख्या को वेट दिया गया है। जैसे 2018 में बीजिंग में पीएम2.5 के वार्षिक औसत का स्तर 46 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर था, और ग्वांगझाउ में यह 26 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर था। तो चीन के 2016 के पीएम2.5 के राष्ट्रीय वार्षिक औसत की गणना करते समय बीजिंग के पीएम2.5 के स्तर को ग्वांगझाउ की तुलना में लगभग 50 प्रतिशत अधिक वेट दिया गया क्योंकि बीजिंग की जनसंख्या ग्वांगझाउ की लगभग डेढ़गुनी है। इस प्रकार, चीन का पीएम2.5 का राष्ट्रीय औसत 34 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर हाने का अर्थ है कि चीन में 2018 में औसतन हर व्यक्ति के लिए पीएम2.5 के एक्सपोजर का स्तर 34 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर था। मैप टूल में राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय स्तरों पर इन्हीं ऍग्रीगेटेड मानों को दर्शाया गया है।

कणीय पदार्थों और जनसंख्या के ग्रिडस्तरीय अनुमान

वायु प्रदूषण की सीमा और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले इसके प्रभावों को समझने के लिए बड़े पैमाने पर प्रदूषण माप की व्यवस्था जरूरी है. साथ ही इसका भौगोलिक और विश्वसनीय होना भी जरूरी है. दुर्भाग्य से, वर्तमान में दुनिया भर के कई क्षेत्रों में व्यापक प्रदूषण निगरानी प्रणालियों की कमी है. कई जगहों पर हाल के दिनों में प्रदूषण मापक यंत्र लगाए गए हैं. लेकिन इन क्षेत्रों में पीएम 2.5 की निगरानी शुरू नहीं की गई है. ऐसे में दीर्घकालिक प्रभावों (लॉंग टर्म इंपैक्ट) को समझ पाना या उसका अध्ययन करना संभव नहीं है.

इन यंत्रों से जो डेटा मिलता है, कई बार उसकी गुणवत्ता और विश्वसनीयता भी अलग होती है. यूं कहें कि संदिग्ध होती है. पार्टिकुलेट प्रदूषण (PM2.5) और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले इसके प्रभावों का एक सिंगल डेटासेट बनाने के लिए 1998-2018 तक लगातार 21 सालों तक विश्व स्तर पर सैटेलाइट से आंकड़ा (अनुमानित) लिया गया और उसे AQLI से मिलाया गया. उसकी पद्धति में निरंतरता बरती गई, स्थानीय स्तर पर प्रस्ताव तैयार किया गया.

वैश्विक स्तर पर यह डेटा हैमर एट एएल (2020) द्वारा 0.05 ° x 0.05 ° के हाई रिज़ॉल्यूशन पर तैयार किया गया है. यानी दूसरे शब्दों में कहें तो, पृथ्वी की सतह 6 किमी x 6 किमी से अधिक बड़ी ग्रिड सेल में विभाजित नहीं है. जो कि न्यूयॉर्क सिटी के आकार का 1/30 है. वहीं दिल्ली का आकार का 1/60 या बीजिंग के शहरी इलाके का 1/170 है.  हर साल यह डेटा प्रति ग्रिड सेल का PM2.5 कंसंट्रेशन उपलब्ध कराता है.

AQLI में प्रदूष्ण और जनसंख्या के उपग्रह द्वारा प्राप्त उच्च रिसोल्यूशन वाले अनुमानों का उपयोग किया जाता है जो वैश्विक स्तर पर 10 किमी गुणा 10 किमी के ग्रिड के प्राप्त होते हैं जैसा कि यहां न्यूयॉर्क, बीजिंग और दिल्ली के लिए दर्शाया गया है।

यह कैसे संभव है कि जिस इलाके में प्रदूषण मापने की निगरानी व्यवस्था को पूरी तरह दरकिनार किया जाता हो, वहां PM 2.5 कंसंट्रेशन के स्तर का पता चले. वहां हैमर एट एएल (2020) एक थ्री स्टेप प्रोसेस इस्तेमाल करता है.

  1. वे प्रत्येक ग्रिड सेल पर उपग्रह से एरोसोल ऑप्टिकल डेप्थ (AOD) के माप प्राप्त करते हैं. हवा में जो कण होते हैं वो सूर्य की रौशनी को ब्लॉक करता है, इसलिए ज्यादा वायु प्रदूषण का मतलब है कि वायुमंडल के माध्यम से सूर्य की रौशनी कम जा सकती है. ग्रिड सेल से होकर हवा में कितनी रौशनी जाएगी, इसका एक ईकाई माप AOD है.
  2. AOD से PM2.5 में बदलने के लिए GEOS-Chem नामक एक मॉडल का इस्तेमला किया जाता है, जो कि बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है. इस मॉडल के इनपुट अंतरिक्ष विज्ञान और वाष्पशील कार्बन यौगिकों PM, SO2, NOx सहित कई यौगिकों के उत्सर्जन संबंधी डेटा हैं (बाद वाले तीन गैसें हैं जो वायुमंडल में उत्सर्जित होने पर पीएम बनाते हैं). इन परिणामों का उपयोग करके, मॉडल AOD और PM 2.5 के बीच के संबंध को अंतरिक्ष और समय के बीच फॉलो करता है. उपग्रह आधारित AOD माप के साथ GEOS-Chem सिमुलेशन का संयोजन एक शुरूआती वैश्विक ग्रिड पीएम 2.5 डेटासेट देता है.
  3. आगे की सटीकता में सुधार करने के लिए वे पीएम 2.5 रीडिंग के साथ उपलब्ध ग्रैवल मॉनिटर से इस डेटासेट को मिलाते हैं. यानी, मॉनिटर के करीब स्थित ग्रिड सेल के लिए वे अनुमान लगाते हैं कि एयरोसोल कंपोजिशन और शहरी क्षेत्रों की दूरी जैसे भू-भौतिकीय कारक कैसे प्रभावित करते हैं.

एर क्वालिटी लाइफ़ इंडेक्स में 2018 के लैंडस्कैन ग्लोबल पॉपुलेशन डेटाबेस के प्राप्त जनसंख्या के आंकड़ों का उपयोग किया गया है, जिसमें हर देश में 30 आर्क-सेकेंड लंबाई वाले ग्रिड सेल में आने वाली जनगणना की जनसंख्या को डिसऍग्रीगेट करने के लिए स्थान आधारित विधियों का उपयोग किया जाता है। विषुवत रेखा के समीप ये ग्रिड सेल लगभग 1 वर्ग किमी आकार के होते हैं जबकि दूसरी जगह कुछ छोटे होते हैं। जनसंख्या के विस्तृत आंकड़ों को पीएम2.5 के संकेंद्रण के उपग्रह आधारित आकलनों के साथ संयुक्त करने के बाद परिणाम के रूप में हमें व्यापक पीएम2.5 के संकेंद्रण का संबंधित जनसंख्या के साथ जुड़ा वैश्विक ग्रिडेड डेटाबेस प्राप्त होता है। ग्रिड स्तर से लेकर स्थानीय, राज्य, राष्ट्रीय, और वैश्विक स्तर के पीएम2.5 के संकेंद्रणों और जीवन संभाव्यता के परिणामों के औसतों को ऍग्रीगेट करते समय वहां की जनसंख्या का उपयोग वेट के रूप में किया जाता है।

किसी खास वर्ष के लिए प्रदूषण और जीवन संभाव्यता को ऍग्रीगेट करते समय एर क्वालिटी लाइफ़ इंडेक्स द्वारा हमेशा ही जनसंख्या के 2018 के आंकड़ों का उपयोग किया जाता है। ऐसा इसलिए कि समय के साथ प्रदूषण के स्तरों में और जीवन संभाव्यता में होने वाली वृद्धि में परिवर्तन हवा में कणीय पदार्थों के संकेंद्रण में होने वाले वास्तविक परिवर्तन को व्यक्त करते हैं और समय के साथ जनसंख्या के वितरण में होने वाले परिवर्तनों के साथ गड्डमड्ड नहीं होते हैं। अतः उदाहरण के रूप में देखें, तो 1998 के लिए जीवन संभाव्यता संबंधी जिन प्रभावों की जानकारी दी गई है उसकी व्याख्या इस रूप में की जानी चाहिए कि अगर वर्तमान संकेद्रण की जगह कणीय पदार्थों का संकेंद्रण 1998 के स्तर पर होता, तो आज जीवित रहे लोग उस मामले में कैसा अनुभव करते।

एर क्वालिटी लाइफ़ इंडेक्स को सबसे हाल में उपलब्ध पीएम2.5 और जनसंख्या के आंकड़ों के आधार पर हर साल अपडेट किया जाता है।

एर क्वालिटी लाइफ़ इंडेक्स के प्रदूषणसंबंधी आंकड़ों पर एक टिप्पणी

AQLI ने आखिरी बार 2020 में अपना डेटा अपडेट किया था. वर्तमान में सैटेलाइट अनुमानित PM2.5 डेटा हैमर एट एएल 20202 द्वारा निर्मित ग्रिड-स्तरीय डेटासेट से एकत्र किया गया है. यह कच्चे डेटा का एक संशोधन है जिसका उपयोग 2018 से 2020 तक AQLI की ओर से किया गया था. इसका निर्माण वैन डोनेकेर एट अल द्वारा किया गया था. (2016) और 1996-2016 तक फैला. 2017-2018 के वर्षों के आंकड़ों को जोड़ने के अलावा, हैमर एट एएल 2020 के वर्तमान कच्चे डाटासेट. पिछले सभी वर्षों के लिए संशोधित पीएम 2.5 अनुमान.

संशोधन का परिणाम निम्नलिखित हैं:

  1. सैटेलाइट आधारित AOD और सतह PM2.5 के बीच संबंध बनाने के लिए एक मात्र GEOS- Chem सिमुलेशन का पूरे साल उपयोग. इसके विपरीत, अलग-अलग वर्षों में डाटा की कमी के कारण वैन डोनकेलर एट एएल (2016) GEOS- Chem के विभिन्न संस्करणों को लागू किया गया. सभी वर्षों के लिए संसोधित डेटा समय के अनुसार विश्लेषण के लिए अधिक उपयुक्त है.
  2. GEOS- Chem सिमुलेशन में ग्रैवल उत्सर्जन माप की एक और पूरी सूची का उपयोग, उन क्षेत्रों में एक्यूरेसी (सटीकता) में सुधार, जहां चीन और भारत जैसे देश हाल के वर्षों में जमीनी स्तर के डेटा की गुणवत्ता और उपलब्धता में वृद्धि हुई है.
  1. एक क्षेत्र में PM2.5 में धूल के आकलन के लिए संशोधित विधि. पिछले डेटासेट ने धूल को बहुत कम कर दिया था और वर्तमान डेटासेट शुष्क क्षेत्रों में मानव जनित PM2.5 के आकलनों को ठीक करता है. वर्तमान डेटासेट ग्राउंड मॉनीटर डेटा की तुलना में अधिक सुसंगत है.

वैन डोकेलॉकर एट एएल के पूर्व डेटासेट (2016), R2 = 0.91 के साथ R2 = 0.85 के बजाय जब एक ही मॉनिटर डेटासेट के विपरीत क्रॉस वैलिडेट किया गया. आमतौर पर, अपडेट किया गया PM2.5 डेटा पूर्व डेटासेट की तुलना में अधिक वैल्यू देता है (नीचे आंकड़ा देखें). साल भर प्रदूषण और जीवन प्रत्याशा मूल्यों की तुलना करते समय उपयोगकर्ताओं को केवल नए डेटासेट के संदर्भ में ध्यान देना चाहिए. ना कि 2017-18 मे रिपोर्ट किए गया वैल्यू की तुलना 1998-2016 में रिपोर्ट किए गए वैल्यू से  करना चाहिए.

एर क्वालिटी लाइफ़ इंडेक्स  के प्रदूषण संबंधी आंकड़े स्थानीय मॉनीटर्स से भिन्न क्यों हैं?

    • धूल और समुद्री नमक। जहां मॉनीटर सभी प्रकार के कणीय पदार्थों को गणना में लेते हैं वहीं एर क्वालिटी लाइफ़ इंडेक्स में जान-बूझकर पीएम2.5 के अशोधित आंकड़ों का उपयोग किया जाता है और मानव जनित प्रदूषण को लक्षित करने के लिए उसमें से खनिजों की धूल और समुद्री नमक को हटा दिया जाता है। यह विशेष रूप से उत्तरी अफ्रीका, मध्य पूर्व, उप-सहारा अफ्रीकी और उत्तर-पश्चिमी चीन जैसे शुष्क क्षेत्रों में AQLI के रिपोर्ट किए गए प्रदूषण को कम करता है.
    • क्षेत्र का औसत बनाम किसी खास स्थान का अनुमान। एर क्वालिटी लाइफ़ इंडेक्स में औसत वायु प्रदूषण की माप के लिए जिन आंकड़ों का उपयोग किया जाता है वे 0.5*0.5 डिग्री ग्रिड रिजोल्यूशन (विषुवत रेखा पर 6 किमी गुणा 6 किमी और ध्रुवों की ओर अपेक्षाकृत कम) के हर खंड के लिए उपग्रह से प्राप्त पीएम2.5 के अशोधित आंकड़े होते हैं। इसके विपरीत, वायु प्रदूषण के मॉनीटर किसी एक स्थान पर, जैसे कि ईंट भट्ठा के हवा के रुख की ओर 100 मीटर पर, या किसी पार्क में किसी पेड़ पर अवस्थित होते हैं। वे अपने खास स्थान पर वायु प्रदूषण का स्तर मापते हैं, और उनके द्वारा की गई माप का औसत पूरे क्षेत्र के औसत प्रदूषण स्तर से कम या अधिक हो सकता है।
    • जनसंख्या का वेट। प्रदूषण के अशोधित आंकड़े 0.5*0.5 डिग्री ग्रिड के उच्च रिजोल्यूशन पर होते हैं, और आम तौर पर किसी राजनीतिक क्षेत्र (जैसे प्रांत, जिला, प्रखंड) में ऐसे कई ग्रिड खंड होते हैं। किसी स्थानीय या राष्ट्रीय सीमा में कणीय प्रदूषण और हर व्यक्ति द्वारा महसूस किए जाने वाले जीवन संभाव्यता संबंधी प्रभाव को औसत रूप में दर्शाने के लिए एर क्वालिटी लाइफ़ इंडेक्स में ग्रिड-स्तर के आंकड़ों को जनसंख्या के वेट का उपयोग करके ऍग्रीगेट किया जाता है। इसका अर्थ होता है कि जैसे किसी प्रांत में कोई बड़ा और कम प्रदूषण वाला शहर हो, और छोटा लेकिन अधिक प्रदूषित औद्योगिक शहर हो, तो उस प्रांत की कुल आबादी के लिए प्रांत का  एर क्वालिटी लाइफ़ इंडेक्स क्षाकृत साफ हवा का अनुभव करने वाले उन शहरवासियों की स्थिति के अधिक करीब होगा जिनका प्रांत की जनसंख्या में बड़ा हिस्सा है। ऐसी स्थिति में वायु गुणवत्ता जनित जीवन सूचकांक का यह आशय नहीं है कि वायु प्रदूषण का पूरे प्रांत में हर किसी के स्वास्थ्य पर कम असर होगा।

हैमर एवं अन्य (2020) द्वारा निर्मित प्रदूषण के उपग्रह से प्राप्त ग्रिड-स्तरीय डेटासेट की आम तौर पर जमीनी स्तर के मॉनीटर द्वारा ली गई मापों (R2 = 0.91 जिनका उपयोग उपग्रह से प्राप्त डेटासेट को कैलिब्रेट करने के लिए नहीं किया गया) के साथ काफी एकरूपता होती है। लेकिन विशेष भौगोलिक परिस्थितियों में उपग्रह के माप स्थानीय लोगों द्वारा झेले जा रहे प्रदूषण को सही-सही नहीं भी व्यक्त कर सकते हैं :

  • रिजोल्यूशन. हालांकि 0.5 गुणा 0.5 डिग्री ग्रिड वैश्विक वायु प्रदूषण डेटासेट के लिए काफी अच्छा रिजोल्यूशन है, लेकिन अगर किसी क्षेत्र में प्रदूषण और जनसंख्या घनत्व, दोनो मामलों में 0.5 गुणा 0.5 डिग्री से कम स्तर पर काफी अंतर है, तो इसका परिणाम स्थानीय लोगों द्वारा झेले जा रहे प्रदूषण स्तर का गलत चित्रण होगा। इसका एक चरम उदाहरण मंगोलिया का उलानबातार है। शहर अंडाकार विस्तार वाला है और तूल नदी घाटी में ऐसी अवस्थिति है कि शहर के ऍग्रीगेट प्रदूषण स्तर की गणना के लिए प्रयुक्त शहरी घाटी क्षेत्र के इर्दगिर्द मौजूद पहाड़ भी हर ग्रिड खंड का हिस्सा बन जाते हैं। हालांकि शहरी क्षेत्र में प्रदूषण अधिक है, लेकिन पहाड़ों की हवा काफी स्वच्छ है। चूंकि हर ग्रिड खंड में पहाड़ों के कारण औसत प्रदूषण स्तर कम हो जाता है, इसलिए जनसंख्या को वेट देने से भी कम प्रदूषित पहाड़ी क्षेत्रों का वेट कम नहीं होता है। इसके चलते पूरे शहर के लिए कणीय प्रदूषण और जीवन संभाव्यता पर होने वाले उसके प्रभाव के आंकड़े मॉनीटर किए गए आंकड़ों से काफी कम होते हैं। जैसे, वायु प्रदूषण के मॉनीटरों ने 2016 में पीएम2.5 के वार्षिक औसत को 92 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर मापा जबकि एर क्वालिटी लाइफ़ इंडेक्स की गणना के अनुसार यह मात्र 19 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर था। इस मामले में मॉनीटर के आंकड़े उलानबातार के निवासियों के फेफड़ों में घुसने वाले कणीय पदार्थों की मात्रा के बेहतर सूचक हैं।

यह ऐसे स्थानीय क्षेत्रों के लिए सामान्यतः संभावित मुद्दा है जिनमें प्रदूषण और जनसंख्या में काफी अंतर होता है, जैसे कि बड़े पहाड़ों के पास स्थित महानगरों के मामले में। हालांकि होने वाली असंगति के परिमाण के लिहाज से देखें, तो उलानबातार एक चरम मामला है जिसका कारण उसके क्षेत्र का आकार और आकृति, क्षेत्र में जनसंख्या का तेज उतार-चढ़ाव और क्षेत्र के ऊपर बनने वाले उपग्रह के ग्रिड का तरीका है।

मृत्यु के अन्य कारणों और जोखिमों के साथ तुलना

एर क्वालिटी लाइफ़ इंडेक्स के परिणामों के आधार पर देखें, तो पूरी दुनिया में 2018 के स्तर पर व्यापक कणीय प्रदूषण बरकरार रहने पर अभी जीवित हर व्यक्ति की जीवन संभाव्यता विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन के स्तर पर कणीय पदार्थों का संकेंद्रण रहने पर होने वाली जीवन संभाव्यता से औसतन 1.9 वर्ष घट जाएगी। प्रदूषण तथ्य और ट्वेल्व फैक्ट्स रिपोर्ट (बारह तथ्यों से संबंधित रिपोर्ट) में हमने इसके निष्कर्षों की तुलना अकाल मृत्यु के अन्य कारणों और जोखिमों के जीवन संभाव्यता पर होने वाले प्रभावों के साथ की है। ऐसा हमने जीवन तालिकाओं (लाइफ टेबल्स) का उपयोग करके किया है और महामारी-विज्ञान आधारित वही दृष्टिकोण अपनाया है जो कणीय प्रदूषण और जीवन संभाव्यता के बीच संबंध की गणना करने के लिए हुआइ नदी के इलाके में अध्ययन के दौरान अपनाया गया था।

इस दृष्टिकोण का सारांश इस प्रकार है। विश्व स्वास्थ्य संगठन से हमने 2016 (नया उपलब्ध है) के मृत्यु संबंधी आंकड़े लिए – जैसे कि हर लिंग और उम्र के 0-1, 1-4, 5-9, —- 80-84 और 85 वर्ष से अधिक के अंतराल वाले मृत्यु की आंशका और जीवन संभाव्यता के आंकड़े। [6]  हमने इन्हें ‘‘बेसलाइन’’ आंकड़े कहा। हमने ग्लोबल बर्डेन ऑफ डीजिज 2017 (जीबीडी) से मृत्यु के अनेक कारणों और जोखिमों (जैसे धूम्रपान, मलेरिया) के लिए 2017 (फिर से, नवीनतम जून 2020 तक उपलब्ध है) में 0-1, 1-4, 5-9, — 75-79, और 80 वर्ष से अधिक के अंतराल में हर लिंग और उम्र के लिए उस कारण से होने वाली मृत्यु की दरें मालूम कीं। इन दोनो डेटासेट के लिए हमने उम्र के सबसे ऊंचे अंतरालों को एकरूपता के लिहाज से 80 वर्ष से अधिक के एक अंतराल में ऍग्रीगेट किया।

उसके बाद, बेसलाइन जीवन तालिका का उपयोग करके और सबसे पहले ग्रीनवुड (1922) तथा चियांग (1984) द्वारा रेखांकित प्रक्रिया का पालन करके हमने 2017 में जन्मे हर लड़का और लड़की के लिए औसत जीवन संभाव्यता की गणना यह मानते हुए की कि भविष्य में उम्र के हर अंतराल में मृत्यु संबंधी जोखिम स्थिर (कांस्टेंट) रहेगा। वर्ष 2016 के जन्मकालीन लिंग अनुपात का उपयोग करके हमने लिंग के आधार पर जीवन संभाव्यताओं को एक औसत बेसलाइन जीवन संभाव्यता में ऍग्रीगेट करने के लिए वेटेड औसत लिया। [7] इस संख्या में 2017 में मृत्यु के सारे कारणों और जोखिमों के वास्तविक बोझ पर आधारित जीवन संभाव्यता संबंधी प्रभावों का लेखा-जोखा शामिल है।

यह गणना करने के लिए कि किसी खास स्थिति (जैसे धूम्रपान या मलेरिया) के नहीं रहने पर क्या जन्मकालीन जीवन संभाव्यता रही होती, हमने उस स्थिति की मृत्यु दरों को जीवन तालिका की बेसलाइन दरों में से घटा दिया, और प्रतितथ्यात्मक (काउंटरफैक्चुअल) औसत जन्मकालीन जीवन संभाव्यता प्राप्त करने के लिए उक्त प्रक्रिया अपनाई। बेसलाइन जीवन संभाव्यता और इस प्रतितथ्यात्मक जीवन संभाव्यता के बीच अंतर ही उस स्थिति में जीवन संभाव्यता संबंधी प्रभाव है जिसकी तुलना हमने वायु गुणवत्ता जनित जीवन सूचकांक के कणीय प्रदूषण के लिए 1.9 वर्ष के परिणाम के साथ की है।

देश-विशिष्ट यानी किसी खास देश की तुलना करने के लिए, देश-विशिष्ट जीवन तालिकाओं और मृत्यु दर डेटा का उपयोग किया जाता है। जिन आंकड़ों और कोड्स के आधार पर ये गणनाएं की गईं उन्हें यहां पाया जा सकता है।

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[1] विश्व स्वास्थ्य संगठन, 2006

[2] कटलर एवं अन्य (2017) से अन्य राष्ट्रीय मानकों की पहचान की गई थी।

[3] चेन एवं अन्य, 2013; एबेंस्टीन एवं अन्य, 2017

[4]  अनुपात 0.65 अध्ययनों की सतर्क समीक्षा पर आधारित है जो चीन में उस समय सीमा में ऐतिहासिक पीएम2.5-पीएम10 अनुपात दर्शाती है जिसकी जानकारी एबेंस्टीन एवं अन्य (2017) द्वारा दी गई है। राष्ट्रीय स्तर के दो प्रतिनिधि अध्ययन खास तौर पर दिचलस्पी वाले हैं। वांग एवं अन्य (2015) ने पीएम2.5-पीएम10 अनुपातों को पूरे देश में 2006 से 2014 के बीच 24 मॉनीटरिंग केंद्रों पर मापा और हर केंद्र/ शहर के आधार पर कुल औसतों की जानकारी दी। जनसंख्या के वेट के औसत के साथ इन औसतों का उपयोग करके की गई तत्काल संक्षिप्त गणना पीएम2.5-पीएम10 अनुपात 0.73 दर्शाती है। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस अध्ययन में शहरों की सूची में कुछ बड़े महानगरीय क्षेत्र (जैसे बीजिंग) शामिल नहीं किए गए हैं जबकि आसपास के कई क्षेत्रों को शामिल किया गया है। झाउ एवं अन्य (2015) ने सारे प्रकाशित साहित्य (128 आलेखों) के राष्ट्रव्यापी व्यापक डेटाबेस को संकलित किया है जिनमें 1988 से 2010 तक तक पीएम2.5 और पीएम10 की मात्रओं के संकेंद्रणों का अध्ययन किया गया था और 57 शहरों तथा क्षेत्रों को कवर करने वाले 589 जोड़े आंकड़ों के आधार पर पीएम2.5-पीएम10 अनुपात 0.65 पाया गया था। साथ ही, हमने विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा चीन के लिए इसके व्यापक प्रदूषण डेटाबेस में प्रयुक्त पीएम2.5 के साथ पीएम10 के मात्रात्मक अनुपात 0.66 पर भी विचार किया। झाउ एवं अन्य (2015) की समग्रता और विश्व स्वास्थ्य संगठन के मान (0.66) के साथ उसके निष्कर्ष की सन्निकटता (0.65) को देखते हुए हमने वायु गुणवत्ता जनित जीवन सूचकांक के लिए पीएम2.5-पीएम10 अनुपात 0.65 का उपयोग बेसलाइन के बतौर किया है।

[5] उदाहरण के लिए देखें, ग्लोबल बर्डेन ऑफ डीजिज (2016)

[6] विश्व स्वास्थ्य संगठन, 2018

[7]  यू.एन. पॉपुलेशन डिविजन, 2017

हैमर, एम एस, वैन डोंकेलार, ए, ली, सी, ल्यापुस्टिन, ए, सायेर, ए एम, सू, एन सी, लीवे, आर सी, गैरे, एम जे, कालास्निकोवा, ओ वी, क्हान, आर ए, ब्रावर, एम, आप्टे, जे एस, हेंजे, डी के, झांग, एल, झांग, क्यू, फोर्ड, बी, पियर्स, जे आर, एंड मार्टिन, आर वी 2020, वैश्विक अनुमान और फाइन पार्टिकुलेट मैटर कंसंट्रेशन का दीर्घकालिक रुझान, पर्यावरण विज्ञान और प्रौद्योगिकी

संसाधन

ब्राइट, ई.ए., रोज ए.एन., और अर्बन, एम.एल. (2016). लैंडस्कैन 2015 [डेटा फाइल]. ओक रिज नेशनल लेबोरोटरी https://landscan.ornl.gov/ से प्राप्त.

चेन एवं अन्य (2013) “एविडेंस ऑन द इंपैक्ट ऑफ सस्टेंड एक्सपोजर टू एयर पॉल्यूशन ऑन लाइफ एक्सपेक्टेंसी फ्रॉम चाइनाज हुआइ रिवर पॉलिसी”, प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज, 110(32): 12936-12941.

एबेंस्टीन एवं अन्य (2017) “न्यू एविडेंस ऑन द इंपैक्ट ऑफ सस्टेंड एक्सपोजर टू एयर पॉल्यूशन ऑन लाइफ एक्सपेक्टेंसी फ्रॉम चाइनाज हुआइ रिवर पॉलिसी”, प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज, 114(39): 10384-10389.

ग्लोबल बर्डेन ऑफ डीजिज. (2016). http://ghdx.healthdata.org/gbd-2016 से प्राप्त.

कटलर, जे.एम., ईफ्टेंस, एम., गिंटाउट, ई., कैपलर, आर., कुंजली, एन., (2017). टाइम टू हार्मोनाइज नेशनल एंबिएंट एयर क्वालिटी स्टैंडर्ड्स, इंटरनेशनल जर्नल ऑफ पब्लिक हेल्थ 62(4), 453–462.

यूएन पॉपुलेशन डिवीजन. (2017). _वर्ल्ड पॉपुलेशन डिवीजन : 2017 रिवीजन_. https://population.un.org/wpp/DataQuery से प्राप्त.

वान डॉनकेलार एवं अन्य (2016) “ग्लोबल एस्टिमेट्स ऑफ फाइन पार्टिकुलेट मैटर यूजिंग ए कंबाइन्ड जियोफीजिकल-स्टेटिस्टिकल मेथड विद इनफॉर्मेशन फ्रॉम सेटेलाइट्स, मॉडेल्स, एंड मॉनीटर्स”, एनवायरनमेंटल साइंस एंड टेक्नोलॉजी, 50(7): 3762-3772.

वांग एवं अन्य. (2015) “स्पैटियल एंड टेंपोरल वैरिएशंस ऑफ द कंसंट्रेशन ऑफ पीएम10, पीएम2.5 एंड पीएम1 इन चाइना” एटमॉस्फोरिक केमिस्ट्री एंड फीजिक्स, 15:13585-13598.

विश्व स्वास्थ्य संगठन. (2006) “डब्ल्यूएचओ एयर क्वालिटी गाइडलाइंस फॉर पार्टिकुलेट मैटर, ओजोन, नाइट्रोजन ऑक्साइड एंड सल्फर” http://apps.who.int/iris/bitstream/handle/10665/69477/WHO_SDE_PHE_OEH_06.02_eng.pdf पर उपलब्ध

विश्व स्वास्थ्य संगठन. (2018). लाइफ टेबल्स बाइ डब्ल्यूएचओ रीजन : ग्लोबल  [डेटा फाइल]. http://apps.who.int/gho/data/view.main.LIFEREGIONGLOBAL?lang=en पर उपलब्ध

झाउ एवं अन्य (2015) “कंसंट्रेशंस, करेक्शंस एंड केमिकल स्पेसीज ऑफ पीएम2.5/ पीएम10 बेस्ड ऑन पब्लिश्ड डेटा इन चाइना : पोटेंशियल इंप्लीकेशंस फॉर द रिवाइज्ड पार्टिकुलेट स्टैंडर्ड” कीमोस्फेयर, 144(2016): 518-526.

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