नीति का प्रभाव
चीन : राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता कार्ययोजना (2014)
प्रदूषण पर चीन के युद्ध ने धुँध में 12 प्रतिशत कमी ला दी है। तीन वर्षों तक ‘‘प्रदूषण युद्ध’’ लड़ने के बाद 2016 में चीन में सुधार दिख रहे हैं। अगर ये सुधार जारी रहे, तो चीन के लोग अपनी जीवन प्रत्याशा में 0.5 वर्ष की वृद्धि देख सकेंगे।
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पिछले कुछ वर्षों में चीन ने विश्व के सबसे अधिक प्रदूषित देशों में एक होने की प्रतिष्ठा हासिल की है। इसके बावजूद, 2013 से यह विश्व के सबसे प्रदूषित तीन देशों में शामिल नहीं है। निस्संदेह, वायु प्रदूषण चीन के लिए एक चुनौती है, लेकिन हाल के वर्षों में अपना प्रदूषण घटाने के लिए सघन सार्वजनिक छानबीन के बाद की गई अनेक निर्णायक कार्रवाइयों के जरिए देश ने काफी प्रयत्न किए हैं।
चीन में बढ़ते वायु प्रदूषण के बारे में लोगों की चिंता 1990 के दशक के उत्तरार्ध में बढ़ने लगी। वर्ष 2007 में चीन के प्रथप्रवर्तक गैर-सरकारी संगठन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एंड एनवायरनमेंटल अफेयर्स के निदेशक मा जुन ने चीन वायु प्रदूषण मानचित्र जारी किया – एक ऐसा टूल जो उपयोगकर्ताओं को पूरे देश में वायु गुणवत्ता के आंकड़े देखने की गुंजाइश देता था। वर्ष 2008 में बीजिंग स्थित अमेरिकी दूतावास ने ट्वीटर और स्टेट डिपार्टमेंट के वेबसाइट पर अपने खुद के वायु गुणवत्ता मॉनीटर के पठन पोस्ट करने शुरू किए और निवासियों ने शीघ्र ही पाया कि वे नगर प्रशासन द्वारा जारी किए गए वायु गुणवत्ता के स्तर से भिन्न होते हैं। वर्ष 2012 तक ग्वांगझाउ और शांघाइ स्थित अमेरिकी वाणिज्य दूतावासों ने अपने खुद के प्रदूषण मॉनीटर स्थापित कर लिए थे और वे आंकड़ों की सूचना देने लगे थे।
उसके बाद 2013 की गृष्म ऋतु में इपिक के निदेशक माइकल ग्रीनस्टोन और तीन सहलेखकों ने प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में एक अध्ययन प्रकाशित किया जिसका निष्कर्ष था कि उच्च वायु प्रदूषण ने उत्तरी चीन में रह रहे लोगों के जीवनकाल में दक्षिणी चीन की अपेक्षा लगभग 5 वर्षों की कमी ला दी है। स्वास्थ्य संबंधी प्रभावों के स्पष्ट प्रदर्शन ने सार्वजनिक छानबीन को और तेज किया और पर्यावरण मंत्रालय का ध्यान आकर्षित किया।
जैसे ही चीन में सूक्ष्म कणीय पदार्थों (पीएम2.5) का प्रदूषण आधिकारिक रूप से अपने कुछ सर्वोच्च संकेंद्रणों पर दिखा, उसके तत्काल बाद से स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के कारण विदेशियों द्वारा देश छोड़ने की सूचना आने लगी क्योंकि स्थिति में कभी भी सुधार हो पाएगा, इस बात पर विश्वास करने का कोई आधार नहीं था। जैसे 2013 में देश के राजधानी वाले महानगर बीजिंग में पीएम2.5 का औसत संकेंद्रण विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सुरक्षित माने जाने वाले स्तर से सातगुना अधिक और देश के अपने क्लास 2 राष्ट्रीय मानक का दूना था। जनवरी 2014 में प्रदूषण मॉनीटर के पठन अनुशंसित दैनिक स्तर से 30-गुने से लेकर 45-गुने तक पहुंच गए, और शहर के अधिकारियों ने निवासियों को अपने घर के अंदर ही रहने की चेतावनी दी। इसी प्रकार, शांघाई में वार्षिक औसत संकेंद्रण विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक का 5.5-गुना था। सारे चीन-वासियों के लिहाज से औसत निवासी पीएम2.5 के 45 माइक्रोग्राम प्रति वर्गमीटर संकेंद्रण का सामना कर रहा था जिसका अर्थ जीवन प्रत्याशा में 3.4 वर्षों की कमी आना होता है।
प्रत्येक औसत निवासी पीएम2.5 के 45 माइक्रोग्राम प्रति वर्गमीटर संकेंद्रण का सामना कर रहा था जिसका जीवन संभाव्यता में 3.4 वर्षों की कमी आना होता है।
नीति
आधुनिक चीन के इतिहास में वायु प्रदूषण के एक सबसे खराब दौर के बीच प्रीमियर ली केकियांग ने 2014 के आरंभ में चीन के नेशनल पीपल्स कांग्रेस की वार्षिक बैठक के आरंभ में ‘‘प्रदूषण के विरुद्ध युद्ध’’ की घोषणा की। राष्टरीय स्तर पर टीवी पर प्रसारित हो रहे सम्मेलन के आरंभ का समय आम तौर पर मुख्य आर्थिक नीतियों पर चर्चा के लिए आरक्षित होता है। लेकिन घोषणा के समय के मामले में पर्यावरण संरक्षण के बारे में चिंता के बजाय आर्थिक विकास को प्राथमिकता देने की देश की लंबे समय से चली आ रही नीति में एक महत्वपूर्ण शिफ्ट दिखा। इसके कारण देश की हवा की गुणवत्ता के बारे में सरकार के आधिकारिक शब्दाडंबर में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन लक्षित हुआ। पहले राजकीय मीडिया में हवा की गुणवत्ता के बारे में होने वाली चिंताओं से यह कहकर ध्यान हटा दिया जाता था कि देखने में हो रही दिक्कत ‘‘कुहासा’’ के कारण है और स्मॉग के स्तरों पर उत्सर्जन का कोई कोई असर नहीं है। लेकिन उस समय सरकार ने पर्यावरण संबंधी दायित्व पर यह कहते हुए जोर दिया कि देश ऐसा नहीं कर सकता है कि ‘‘आज प्रदूषित करो और बाद में साफ करो’’ और प्रदूषण से ‘‘लोहे जैसे मुक्कों’’ के जरिए लड़ा जाएगा।
घोषणा के बाद महीनों पहले ही राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता कार्ययोजना जारी कर दी गई जिसमें 2017 के अंत तक हवा की गुणवत्ता में सुधार का विशेष लक्ष्य तय किया गया था। व्यापक वायु प्रदूषण में कमी के लिए योजना में 270 अरब डॉलर की रकम अलग रखी गई, और बीजिंग नगर प्रशासन ने भी 120 अरब डॉलर की अतिरिक्त रकम तय की। योजना का लक्ष्य सभी शहरी क्षेत्रों में पीएम10 के स्तर में 2012 के स्तर से कम से कम 10 प्रतिशत कमी लाना था। देश के सबसे अधिक प्रदूषित क्षेत्रों को विशेष लक्ष्य दिए गए :
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- तीन लक्षित क्षेत्रों – बीजिंग-तियानजिन-हेबेइ, पर्ल नदी डेल्टा, और यांग्त्सी नदी डेल्टा – में पीएम2.5 में क्रमशः, 25, 20 और 15 प्रतिशत कमी लाना।
- बीजिंग में पीएम2.5 के वार्षिक स्तर में 2013 के स्तर से 34 प्रतिशत कमी लाना।
इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए सरकार की रणनीतियों में ये चीजें शामिल थीं :
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- प्रदूषण में कमी को सरकारी अधिकारियों के प्रोत्साहन का हिस्सा बनाना ताकि प्रोन्नतियां अपने कार्यक्षेत्र के पर्यावरण अंकेक्षण और आर्थिक प्रदर्शन, दोनो पर निर्भर हों। प्रांतीय और स्थानीय अधिकारी अब अपने कार्यक्षेत्र में पर्यावरण में सुधार के लिए प्रोत्साहन पाते हैं।
- तीनो लक्षित क्षेत्रों में कोयला आधारित संयंत्रों पर रोक लगाना और मौजूद कोयला आधारित संयंत्रों के लिए उत्सर्जन में कमी लाना या उन्हें प्राकृतिक गैस आधारित संयंत्रों में बदलना जरूरी कर देना। वर्ष 2017 में चीन के सर्वाधिक कोयला उत्पादक शानशी प्रांत में 27 कोयला खदानों को बंद कर दिया गया। जनवरी 2018 तक बीजिंग ने अपने अंतिम कोयला आधारित विद्युत संयंत्र को बंद कर दिया था और राष्ट्रीय सरकार ने 103 अन्य संयंत्रों के निर्माण की योजना रद्द कर दी थी।
- नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन बढ़ाना। चीन में 2017 में विद्युत उत्पादन में नवीकरणीय स्रोतों का एक-चौथाई से भी अधिक हिस्सा था। इसकी तुलना में उस वर्ष अमेरिका के ऊर्जा उत्पादन में नवीकरणीय स्रोतों का हिस्सा सिर्फ 18 प्रतिशत था।
- उद्योग में लोहा और इस्पात उत्पादन की क्षमता घटाना। वर्ष 2016 से 2017 के बीच चीन ने 11.5 करोड़ टन इस्पात निर्माण की क्षमता रोक दी। आगे और भी कटौती करने की योजना है।
- बीजिंग, शांघाइ, और ग्वांगझाउ जैसे बड़े शहरों में किसी खास दिन सड़क पर आने वाली कारों की संख्या घटाकर उत्सर्जन को नियंत्रित करना। इनमें से हर शहर में सड़क पर चलने वाली कारों की अधिकतम संख्या तय करके हर साल नए लाइसेंस प्लेट्स की संख्या के लिए कोटा तय कर दिया गया है।
- उत्सर्जन के मानकों को अच्छी तरह लागू करना। वर्ष 2017 के उत्तरार्ध में चीन ने इंधन की किफायत वाले मानकों को पूरा नहीं कर पाने वाले 553 मॉडल की कारों का उत्पादन निलंबित कर दिया जिनमें विदेशी और राज्य संचालित कंपनियों के मॉडल भी शामिल थे।
- वायु गुणवत्ता के आंकड़ों की सरकार द्वारा दी जाने वाली सूचना में पारदर्शिता बढ़ाना। चीन ने वायु प्रदूषण मॉनीटरों का राज्यव्यापी नेटवर्क बनाया है और आंकड़े सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराए जाते हैं। मार्च 2017 तक चीन में 5,000 से भी अधिक मॉनीटरिंग केंद्र थे।
इन आक्रामक कार्रवाइयों के कुछ अनिच्छित परिणाम भी सामने आए हैं। जैसे, 2017-18 की शीत ऋतु में अधिकारियों ने गर्म करने के लिए प्रयुक्त होने वाले कोयला से चलने वाले बॉयलरों को अनेक घरों और व्यवसायों से हटाना शुरू कर दिया जबकि उनकी जगह लेने वाले उपकरण हर जगह उपलब्ध नहीं थे। इसके कारण कुछ घर या व्यवसाय गर्म किए बिना रहे। जिनके घर या व्यवसाय प्राकृतिक गैस की लाइनों से जुड़े हुए थे उनलोगों ने पाया कि कम आपूर्ति के कारण उसकी कीमत बढ़ गई है। चीन के लिए प्रदूषण में आई कमी को बरकरार रखने और उसमें और भी कमी लाने का ही नहीं, अधिक साफ विकल्पों की ओर सुगमता से संक्रमण के लिए प्रोत्साहनों, बाजार के ढांचों और स्थानीय वस्तुस्थिति को संरेखित करने का भी काम बाकी है।
प्रभाव
चीन की सरकार ने हाल के वर्षों में अपनी ऊर्जा और परिवहन संबंधी जरूरतों में व्यापक बदलाव लाकर मोटे तौर पर प्रदूषण घटाने की अपनी रणनीतियों का पालन किया है। फलतः, 2013 से 2017 के बीच जहां कोयला की खपत 3.5 प्रतिशत घटी, वहीं सौर ऊर्जा की खपत अकेले 2016 में 71 प्रतिशत से भी अधिक बढ़ गई। साथ ही, चीन की सड़कों पर अभी 12.3 करोड़ विद्युत वाहन चल रहे हैं।
इन कार्रवाइयों के कारण चीन के लोगों के लिए 2013 और 2016 के बीच कणीय प्रदूषण का एक्सपोजर औसतन 12 प्रतिशत घट गया। अगर इस कमी को बरकरार रखा जाता है, तो यह जीवन संभाव्यता में 0.5 वर्षों की वृद्धि के बराबर होगी। वर्ष 2013 में चीन के सर्वाधिक प्रदूषित तीन शहरों में से एक तियानजिन में कणीय प्रदूषण में 14 प्रतिशत कमी दिखी जिसको कायम रखा जाय, तो उसके 1.3 करोड़ निवासियों के लिए यह जीवन संभाव्यता में 1.2 वर्षों की वृद्धि में रूपांतरित हो जाती है। वहीं, प्रदूषण में सबसे अधिक कमी दर्शाने वाले हेनान प्रांत के निवासियों को 2013 की अपेक्षा 20 प्रतिशत कम कणीय प्रदूषण का सामना करना पड़ रहा है जो जीवन संभाव्यता में 1.3 वर्ष की वृद्धि के बराबर है। चीन की सफलता को प्रदूषण नियंत्रण के संदर्भ में आंकने पर दिखता है कि अमेरिका में 1998 से 2016 के बीच प्रदूषण में जितनी कमी आई थी, चीन में 2013 से 2016 के बीच उससे अधिक कमी आई है।
अभी तक राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता कार्ययोजना के कालखंड के अंतिम वर्ष, अर्थात 2017 के लिए उपग्रह से प्राप्त कणीय प्रदूषण के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए कि बीजिंग-तियानजिंग-हेबेइ, पर्ल नदी डेल्टा, और यांग्त्सी नदी डेल्टा के मुख्य क्षेत्रों में लक्ष्यों को पूरा कर लिया जाएगा, लाई गई कमियों को स्थायी बनाने के दीर्घकालिक समाधानों की जरूरत पर बल देने के लिए पर्यावरण संरक्षण मंत्रालय और स्थानीय अधिकारियों द्वारा की गई आक्रामक कार्रवाइयों के कारण कणीय प्रदूषण 2016 के स्तर से भी नीचे आ गया होगा।
[1]यह पृष्ठ एर क्वालिटी लाइफ़ इंडेक्स (AQLI) के उपग्रह से प्राप्त अपने प्रदूषण संबंधी डेटासेट के प्रदूषण के आंकड़ों और संबंधित जीवन संभाव्यता को दर्शाता है। अतः वे सामान्यतः चीनी सरकार के जमीनी स्तर के प्रदूषण मॉनीटरों पर आधारित रिपोर्ट – ‘‘क्या चीन प्रदूषण के विरुद्ध अपना युद्ध जीत रहा है?’’ – में दिए गए प्रदूषण और जीवन संभाव्यता के परिणामों से कम हैं। चूंकि प्रदूषण के विरुद्ध चीन का युद्ध हाल का नीतिगत हस्तक्षेप है इसलिए रिपोर्ट में मॉनीटर के आंकड़ों का उपयोग (1) अतिरिक्त वर्ष 2017 को कवर करने के लिए किया गया है जब प्रदूषण में कमी के मामले में काफी प्रगति हो चुकी थी, और (2) छोटे कालखंड में प्रदूषण के रुझानों को मापने में उपग्रह के आंकड़ों में होने वाली संभावित त्रुटि से बचा गया है। आंकड़ों के स्रोतों के बीच विसंगतियों का एक अतिरिक्त कारण यह है कि एर क्वालिटी लाइफ़ इंडेक्स के प्रदूषण के आंकड़ों में धूल के आंकड़े शामिल नहीं हैं जिसका मॉनीटरों द्वारा प्रेक्षित आंकड़ों में अच्छा-खासा हिस्सा है, जैसे कि बीजिंग में लगभग 8 प्रतिशत हिस्सा।