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अगस्त 28, 2024
अगस्त 28, 2024
हालाँकि 2022 में वैश्विक प्रदूषण थोड़ा कम रहा, लेकिन वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक (एक्यूएलआई) के नए आंकड़ों के अनुसार जीवन प्रत्याशा पर प्रदूषण का बोझ बना हुआ है. अगर वैश्विक पार्टिकुलेट पॉल्यूशन (पीएम2.5) को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के 5 µg/m³ के मानक को पूरा करने के लिए स्थायी रूप से कम कर दिया जाए तो औसत मानव जीवन प्रत्याशा में 1.9 वर्ष या संयुक्त रूप से पूरी दुनिया के जीवन प्रत्याशा में 14.9 अरब जीवन वर्ष की वृद्धि होगी.
इन आंकड़ों से यह साफ़ है कि पार्टिकुलेट पॉल्यूशन (बहुत छोटे और महीन कणों से होने वाला प्रदूषण) मानव स्वास्थ्य के लिए वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ा बाहरी खतरा है. जीवन प्रत्याशा पर इसका दुष्प्रभाव धूम्रपान से होने वाले नुकसान के बराबर है. साथ ही शराब के ज्यादा सेवन से होने वाले नुकसान से 4 गुना से अधिक, कार दुर्घटनाओं जैसी सड़क दुर्घटनाओं से होने वाले नुकसान से 5 गुना से अधिक और एचआईवी/एड्स से 6 गुना से अधिक नुकसानदेह है. साथ ही, प्रदूषण की समस्या का स्तर दुनिया भर में बहुत अलग-अलग है. पृथ्वी पर सबसे प्रदूषित स्थानों में रहने वाले लोग ऐसी हवा में सांस लेते हैं जो सबसे कम प्रदूषित स्थानों में रहने वालों को उपलब्ध हवा की तुलना में छह गुना अधिक प्रदूषित है. इसके परिणामस्वरूप सबसे प्रदूषित स्थानों पर रहने वाले लोगों की जीवन प्रत्याशा में 2.7 वर्ष की कमी हुई है.
माइकल ग्रीनस्टोन शिकागो यूनिवर्सिटी में मिल्टन फ्रीडमैन डिस्टिंगग्विश्ट सर्विस प्रोफेसर इन इकोनॉमिक्स हैं और उन्होंने शिकागो यूनिवर्सिटी स्थित एनर्जी पॉलिसी इंस्टिट्यूट (ईपीआईसी) के अपने सहकर्मियों के साथ मिलकर एक्यूएलआई तैयार किया है. ग्रीनस्टोन कहते हैं, “हालाँकि वायु प्रदूषण एक वैश्विक समस्या बनी हुई है, इसका सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव अपेक्षाकृत कम देशों में केंद्रित है और कुछ स्थानों पर यह जीवन के कई वर्ष, कुछ क्षेत्रों में तो 6 वर्षों से भी अधिक, कम कर रहा है. और अक्सर, उच्च प्रदूषण सांद्रता से यह पता चलता है कि नीति निर्धारण संबंधी इच्छाशक्ति की कमी है या मौजूदा नीतियों को सफलतापूर्वक लागू नहीं किया जा रहा है. जैसे-जैसे देश अपने आर्थिक, स्वास्थ्य और पर्यावरणीय लक्ष्यों में संतुलन स्थापित करेंगे, एक्यूएलआई वायु प्रदूषण में कमी से प्राप्त होने वाले लम्बे जीवन के बारे में प्रकाश डालता रहेगा.”
राष्ट्रीय मानक प्रभावकारी नीतियां तैयार करने और वायु गुणवत्ता में सुधार करने के महत्वपूर्ण उपकरण हैं. इन मानकों में कुछ प्रभावकारी होते हैं और तो कुछ अपर्याप्त और ये आर्थिक, पर्यावरणीय और स्वास्थ्य लक्ष्यों को संतुलित करने संबंधी देशों के कई नीतिगत लक्ष्यों को दर्शाते हैं. हालाँकि, दुनिया की एक तिहाई आबादी ऐसे क्षेत्रों में रहती है जो अपने देशों के मानकों को पूरा नहीं करते हैं. अगर ये देश अपने मानकों को पूरा करते हैं, तो यहाँ के 2.5 अरब लोग औसतन 1.2 साल अधिक जीवित रहेंगे.
एक्यूएलआई की निदेशक तनुश्री गांगुली कहती हैं, “महत्वाकांक्षी मानक तय करना इस समस्या के हल का एक पहलू है लेकिन इन मानकों को प्राप्त करने में मदद करने वाली नीतियों और निगरानी तंत्रों को लागू करना भी उतना ही अहम है. कुछ देश इसमें सफल हो रहे हैं और यह इस बात का सबूत है कि वायु प्रदूषण का हल निकल सकता है.”
हालाँकि जिन 94 देशों ने मानक तय किए हैं उनमें से 37 देश उन्हें पूरा नहीं कर रहे हैं. वहीं आधे से ज़्यादा देशों और क्षेत्रों ने कोई मानक तय ही नहीं किया है. कुल मिलाकर, दुनिया भर के 77 प्रतिशत देश और क्षेत्र या तो अपने राष्ट्रीय मानक को पूरा नहीं करते या उनके पास कोई राष्ट्रीय मानक ही नहीं है.
जिन देशों में कोई मानक नहीं है, उनमें से 1 प्रतिशत से भी कम सरकारें प्रदूषण संबंधी पूरी तरह सुलभ और सार्वजनिक आंकड़े उपलब्ध कराती हैं और दो-तिहाई देशों के पास कोई सरकारी प्रदूषण निगरानी नहीं है. अपर्याप्त आंकड़ों के आधार पर प्रदूषण मानक निर्धारित करना और उन्हें लागू करना मुश्किल है. इस चुनौती का सामना करने में मदद करने के लिए, इस साल ईपीआईसी ने ईपीआईसी एयर क्वालिटी फंड की शुरूआत की है जो स्थानीय समूहों और संगठनों को मॉनिटर लगाने और समुदायों, जो सबसे अधिक लाभान्वित हो सकते हैं, को सुलभ और सार्वजनिक आंकड़े उपलब्ध कराने में सहायता करेगा.
ईपीआईसी के स्वच्छ वायु कार्यक्रम की निदेशक क्रिस्टा हसेनकोफ़ कहती हैं, “अत्यधिक प्रदूषित देशों, जिनके पास वायु गुणवत्ता संबंधी बहुत कम आंकड़े हैं या कोई आंकड़ा नहीं है, को अक्सर इस समस्या की सही स्थिति की जानकारी लगातार नहीं मिल पाती है क्योंकि कम आंकड़े उपलब्ध होने से इस मुद्दे पर कम ध्यान जाता है या इससे संबंधित नीति तैयार की कोशिश कम होती है, जिससे आंकड़ों की मांग कम होती है. अच्छी बात है कि हवा की गुणवत्ता संबंधी थोड़ी से सुलभ और सार्वजनिक आंकड़े भी अगर लगातार उपलब्ध कराए जाएँ तो ये इस चक्र को ख़त्म करने का बड़ा मौका देंगे. इस तरह के आकड़ों को राष्ट्रीय मानक तय करने और उन्हें सुदृढ़ करने के लिए आवश्यक माना गया है.”
दक्षिण एशिया
2022 में वैश्विक प्रदूषण में कमी लगभग पूरी तरह से दक्षिण एशिया के कारण आई जहाँ स्थिति पूरी तरह से बदल गई और प्रदूषण में की बड़ी गिरावट दर्ज की गई.
एक दशक से ज्यादा समय से प्रदूषण में लगातार वृद्धि के बाद, इस क्षेत्र में प्रदूषण में एक साल में 18 प्रतिशत की कमी आई. हालाँकि इस गिरावट के कारणों को निर्णायक रूप से निर्धारित करना मुश्किल है, लेकिन सामान्य से अधिक बारिश जैसे मौसम संबंधी कारणों ने इसमें अहम भूमिका निभाई है और यह केवल समय ही बताएगा कि नीतिगत परिवर्तनों का कोई प्रभाव पड़ रहा है या नहीं. इस बड़ी गिरावट के बाद भी, यह दुनिया का सबसे प्रदूषित क्षेत्र बना हुआ है और यह उच्च प्रदूषण के कारण जीवन वर्षों को होने वाले कुल नुकसान में से 45 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है. यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के अनुसार प्रदूषण को स्थायी रूप से कम कर दिया जाए, तो इन देशों में रहने वाले औसत व्यक्ति के जीवन में 3.5 वर्ष की वृद्धि होगी.
देखें फैक्टशीट: बांग्लादेश, भारत, नेपाल, पाकिस्तान
मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका
मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है. साल 2022 भी इसमें कोई अपवाद नहीं रहा जिस वर्ष प्रदूषण में 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई. यदि प्रदूषण का यह उच्च स्तर जारी रहता है, तो इस क्षेत्र के निवासियों की जीवन प्रत्याशा में औसतन लगभग 1.3 वर्ष की कमी होने का खतरा है. वहीं क्षेत्र के कतर जैसे सबसे प्रदूषित देश, जो दक्षिण एशियाई देशों के बाद दुनिया का चौथा सबसे प्रदूषित देश है, के लोगों को 3 से 4 वर्ष तक का नुकसान होने की आशंका है. वायु प्रदूषण एक गंभीर स्वास्थ्य खतरा है, इसके बावजूद सऊदी अरब और मिस्र को छोड़ इस क्षेत्र के किसी भी देश में राष्ट्रीय प्रदूषण मानक नहीं है.
देखें फैक्टशीट: कतर
मध्य और पश्चिम अफ्रीका
उप-सहारा अफ्रीका में वायु प्रदूषण उतना ही बड़ा स्वास्थ्य खतरा है जितना कि एचआईवी/एड्स, मलेरिया और असुरक्षित पानी से होने वाली रोग जैसे इस क्षेत्र की चर्चित बिमारियां. वायु प्रदूषण से क्षेत्र के सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में लोगों की आयु 5 साल तक कम हो रही है. डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, रवांडा, बुरुंडी, कैमरून और इक्वेटोरियल गिनी दुनिया के दस सबसे प्रदूषित देशों में शामिल हैं. फिर भी, इस क्षेत्र के कई देशों के पास न केवल कोई मानक नहीं है, बल्कि उचित मानक निर्धारित करने में मदद करने के लिए जरूरी निगरानी और पारदर्शी प्रदूषण डेटा नेटवर्क्स भी नहीं हैं.
देखें फैक्टशीट: नाइजीरिया, डीआरसी
चीन
हालाँकि दुनिया भर में वायु प्रदूषण कम करने की चुनौती कठिन लग सकती है, लेकिन चीन ने उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है. इसके द्वारा 2014 में “प्रदूषण के खिलाफ युद्ध” शुरू करने से एक साल पहले यानी कि 2013 की तुलना में 41 प्रतिशत तक प्रदूषण कम किया गया है. अगर यह कमी बरकरार रहती है, तो इन सुधारों के कारण औसत चीनी नागरिक की आयु में 2 साल की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है. हालाँकि, दुनिया के कुल वायु प्रदूषण में चीन का योगदान अभी भी 20 प्रतिशत है. यदि चीन प्रदूषण संबंधी डब्ल्यूएचओ के मानक को पूरा करता है, तो इसके औसत नागरिकों की जीवन प्रत्याशा में 2.3 वर्ष की वृद्धि हो सकती है.
देखें फैक्टशीट: चीन
दक्षिण पूर्व एशिया
दक्षिण एशिया की तरह, 2022 में दक्षिण पूर्व एशिया के अधिकांश हिस्सों में भी प्रदूषण में गिरावट देखी गई, हालाँकि दो दशकों से प्रदूषण स्तर खतरनाक ढंग से उच्च और काफी हद तक अपरिवर्तित बना हुआ है. लगभग सभी दक्षिण-पूर्व एशियाई ऐसी हवा में सांस लेते हैं जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के अनुसार असुरक्षित माना जाता है और जिससे औसत जीवन प्रत्याशा 1.2 वर्ष कम हो जाती है.
देखें फैक्टशीट: इंडोनेशिया, थाईलैंड
लैटिन अमेरिका
लैटिन अमेरिका के कई हिस्सों, जैसे कोलंबिया, में वायु प्रदूषण के कारण जीवन प्रत्याशा को होने वाला नुकसान हिंसा से होने वाला नुकसान के बराबर है. हालाँकि पूरे क्षेत्र में औसत वायु गुणवत्ता असुरक्षित लेकिन अपेक्षाकृत निम्न स्तर पर है. वहीं इलाके के सबसे प्रदूषित क्षेत्रों, जो ग्वाटेमाला, बोलीविया और पेरू में स्थित हैं, में प्रदूषण स्तर दक्षिण एशिया के समान है. यदि इन क्षेत्रों की वायु गुणवत्ता डब्ल्यूएचओ के मानक के अनुरूप हो, तो औसत निवासी की जीवन प्रत्याशा में 4 वर्ष तक की वृद्धि होगी.
देखें फैक्टशीट: कोलंबिया
संयुक्त राज्य अमेरिका
संयुक्त राज्य अमेरिका में, अमेरिकी 1970, स्वच्छ वायु कानून पारित होने से पहले, की तुलना में 67.2 प्रतिशत कम पार्टिकुलेट पॉल्यूशन के संपर्क में हैं और इस कारण उनका जीवन 1.5 वर्ष लंबा हो गया है. फिर भी, देश का 94 प्रतिशत हिस्सा अभी भी डब्ल्यूएचओ के मानक (5 µg/m3) को पूरा नहीं करता है. इस वर्ष ईपीए ने पार्टिकुलेट पॉल्यूशन के लिए ज्यादा सख्त मानक (10 µg/m3) लागू किया है. यदि यह मानक प्राप्त कर लिया जाता है तो कुल 1.9 अरब जीवन वर्ष की वृद्धि होगी. 2022 में, शीर्ष 20 सबसे प्रदूषित काउंटियों में से 10 कैलिफोर्निया में स्थित थे और ऐसा जंगल की आग के कारण था.
देखें फैक्टशीट: संयुक्त राज्य अमेरिका
यूरोप
यूरोप में, यूरोपियन यूनियन्स एयर क्वालिटी फ्रेमवर्क डायरेक्टिव जैसी नीतियों ने 1998 के बाद से प्रदूषण को लगभग 30.2 प्रतिशत कम करने में मदद की है, जिससे निवासियों की जीवन प्रत्याशा में 5.6 महीने की वृद्धि हुई है. फिर भी, यूरोप का 96.8 प्रतिशत हिस्सा अभी भी डब्ल्यूएचओ मानक को पूरा नहीं करता है. 2022 में, यूरोपीय संघ ने अपने 25 µg/m³ के मानक को 2030 तक घटाकर 10 µg/m³ करने का प्रस्ताव रखा लेकिन 75 प्रतिशत आबादी यह मानक पूरा नहीं कर पाएगी. ज़्यादा प्रदूषित क्षेत्र पूर्वी यूरोप में हैं, जहाँ के निवासी प्रदूषित हवा के कारण अपने पश्चिम के पड़ोसियों की तुलना में 4.8 महीने कम जीवन जी रहे हैं. यदि यूरोपीय संघ के सभी देश प्रस्तावित मानक को पूरा करते हैं, तो कुल 56.4 अरब जीवन वर्ष की वृद्धि होगी.
देखें फैक्टशीट: यूरोप