पार्टिकुलेट एयर पोल्यूशन (छोटे कणों से होने वाला वायु प्रदूषण) मानव स्वास्थ्य के लिए दुनिया का सबसे बड़ा बाहरी खतरा बना हुआ है,लेकिन वैश्विक जीवन प्रत्याशा पर इसका अधिकांश प्रभाव सिर्फ छह देशों में केंद्रित है. साथ ही, वर्तमान में वायु प्रदूषण से सर्वाधिक प्रभावित देशों के पास ऐसे बुनियादी उपकरणों का अभाव है जिनसे पूर्व में वायु गुणवत्ता में सुधार हुए थे.
दक्षिण एशिया में प्रदूषण में व्यापक गिरावट दर्ज किए जाने के कारण वैश्विक प्रदूषण में थोड़ी कमी आई है, लेकिन दुनिया भर के तीन-चौथाई से ज़्यादा देशों ने या तो राष्ट्रीय प्रदूषण मानक निर्धारित नहीं किए हैं या उन्हें पूरा नहीं कर रहे हैं.
पार्टिकुलेट एयर पोल्यूशन (छोटे कणों से होने वाला वायु प्रदूषण) मानव स्वास्थ्य के लिए दुनिया का सबसे बड़ा बाहरी खतरा बना हुआ है,लेकिन वैश्विक जीवन प्रत्याशा पर इसका अधिकांश प्रभाव सिर्फ छह देशों में केंद्रित है. साथ ही, वर्तमान में वायु प्रदूषण से सर्वाधिक प्रभावित देशों के पास ऐसे बुनियादी उपकरणों का अभाव है जिनसे पूर्व में वायु गुणवत्ता में सुधार हुए थे.
कोविड-19 के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती आई, लेकिन कणीय प्रदूषण इसके बाद भी ऊंचे स्तर पर ही रहा। साथ ही, स्वास्थ्य पर पड़ने वाले निम्न स्तरीय प्रदूषण के प्रभाव के संबंध में काफी प्रमाण मिलने पर, नए दिशानिर्देश जारी किये गए जिसके कारण दुनिया का अधिकांश हिस्सा असुरक्षित क्षेत्र के तहत आ गया।
वही स्वच्छ वायु नीतियां जो जीवाश्म ईंधन के उत्सर्जन को घटा सकती हैं और जलवायु परिवर्तन की प्रबलता में सहायता कर सकती है, वह सर्वाधिक प्रदूषित क्षेत्रों के निवासियों के जीवन में पांच वर्षों की बढ़ोतरी कर भी सकती हैं जबकि वैश्विक स्तर पर लोगों के जीवन में औसतन दो वर्षों की वृध्दि कर सकती है।